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झारखंड की राजनीति के दो धुरंधर दिशोम गुरु शिबू सोरेन और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का आज जन्मदिन है

Ranchi: झारखंड की राजनीति के दो धुरंधर दिशोम गुरु शिबू सोरेन और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का आज जन्मदिन है. गुरूजी जहां 78 वर्ष के हुए वहीं बाबूलाल मरांडी अपना 63 वां जन्मदिवस मना रहे हैं. कोरोना के कारण इन दोनों नेताओं के जन्मदिवस पर कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं हुआ. दोनों नेताओं ने सादगीपूर्वक जन्मदिन मनाया. झामुमो की तरफ से कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने जिले में कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए जन्मदिन मनाएं. गरीबों के बीच कंबल, दवाएं और अनाज का वितरण करें.

राज्यपाल, हेमंत,अर्जुन मुंडा, रघुवर, अन्नपूर्णा, दीपक प्रकाश समेत कई ने दी बधाई

दिशोम गुरु शिबू सोरेन और बाबूलाल मरांडी के जन्मदिन पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, अन्नपूर्णा देवी, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, मंत्री आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव समेत कई नेताओं ने दोनों नेताओं को बधाई दी है और लम्बी आयु की कामना की है.

महाजनी और सूदखोरी प्रथा के खिलाफ आन्दोलन से चमके गुरूजी

झामुमो सुप्रीमो दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने अपना पूरा जीवन झारखंडियों के उत्थान में लगाया. ग्रामीण क्षेत्रों में महाजनी प्रथा और सूदखोरों के खिलाफ अभियान चलाकर एकीकृत बिहार के समय एक आदिवासी नेता के रूप में चमके थे गुरूजी. इस दौरान उन्हें कई तरह की यातना भी सहनी पड़ी थी. निर्मल महतो, बिनोद बिहारी महतो और एके राय के साथ मिलकर गुरूजी ने अलग झारखंड राज्य के निर्माण को लेकर आन्दोलन शुरू किया. दिशोम गुरु ने वर्षों जंगल की खाक छानी और कई दफा जेल गए. महाजनी और सूदखोरी प्रथा को खत्म करने के बाद उन्होंने पृथक झारखंड राज्य के आंदोलन का सफल नेतृत्व किया. वे झारखंड का मुख्यमंत्री समेत केंद्रीय मंत्री का पद संभाल चुके हैं. वे फिलहाल राज्यसभा के सदस्य हैं.

झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बने बाबूलाल

11 जनवरी 1958 को गिरिडीह जिले के कोदाईबांक में जन्मे बाबूलाल अभी झारखंड भाजपा के विधायक दल के नेता हैं. वह कई बार सांसद व विधायक रह चुके हैं. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वह केंद्र में भी मंत्री रह चुके हैं. 15 नवम्बर 2000 को झारखंड अलग राज्य निर्माण के बाद वह यहाँ के प्रथम मुख्यमंत्री बने. बीच के वर्षों में वह भाजपा से अलग होकर झाविमो नाम से नयी पार्टी बनायी. पिछले विधानसभा चुनाव के बाद वह पुनः भाजपा में शामिल हो गए. वर्त्तमान में वह भाजपा विधायक दल के नेता हैं.

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