राजस्थान में कफ सिरप से 9 बच्चों की मौत: सरकारी दवा योजना पर सवाल, स्वास्थ्य मंत्री ने पल्ला झाड़ा

राजस्थान में कफ सिरप से 9 बच्चों की मौत: सरकारी दवा योजना पर सवाल, स्वास्थ्य मंत्री ने पल्ला झाड़ा
जयपुर, 3 अक्टूबर : राजस्थान में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त उपलब्ध कराई जा रही खांसी की दवा (कफ सिरप) से 9 मासूम बच्चों की मौत हो गई है, जबकि कई अन्य बच्चे गंभीर रूप से बीमार पड़ चुके हैं। यह मामला मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत वितरित डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप से जुड़ा है, जिसे कायसन फार्मा नामक जयपुर स्थित कंपनी ने निर्मित किया है। राज्य सरकार ने 22 बैचों पर प्रतिबंध लगा दिया है और जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री ने पूरे मामले से पल्ला झाड़ है और कहा है कि किसी भी सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ने इस सिरप को अपने पर्चे में नही लिखा है
घटना का विवरण
मामला सबसे पहले सीकर जिले के खोरी ब्राह्माणान गांव में सामने आया, जहां 5 वर्षीय नितिश को 29 सितंबर को चिराना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) से खांसी-जुकाम के इलाज में कफ सिरप दिया गया। रात में दवा पीने के कुछ घंटों बाद बच्चे की हालत बिगड़ गई और सुबह अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई।
इसी तरह, भरतपुर जिले के वैर क्षेत्र में 2 वर्षीय तीरथराज जाटव को 22 सितंबर को उप-जिला अस्पताल से यही सिरप मिला। दवा पीने के बाद वह सो गया और कई घंटों तक न उठने पर अस्पताल ले जाया गया, जहां 4 दिनों बाद उसकी मौत हो गई। उसके भाई-बहन भी दवा पीने से बीमार हुए लेकिन उल्टी करने के बाद बच गए।
बांसवाड़ा जिले में पिछले सप्ताह 1 से 5 वर्ष के 8 बच्चों को इसी सिरप के सेवन से उल्टी, चक्कर, बेचैनी और बेहोशी जैसे लक्षण दिखे, लेकिन वे ठीक हो गए। कुल मिलाकर, राज्य में कम से कम 9 बच्चे की मौत हुई है।
डॉक्टर की लापरवाही या साहस?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भरतपुर के बयाना सीएचसी के प्रभारी डॉ. ताराचंद योगी ने 24 सितंबर को चिंतित अभिभावकों को आश्वस्त करने के लिए स्वयं सिरप का डोज लिया। 8 घंटे बाद वे अपनी कार में बेहोश मिले। उनके साथ एक एंबुलेंस चालक को भी इसी सिरप से लक्षण हुए, लेकिन वह ठीक हो गया।
सरकारी कार्रवाईराजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आरएमएससीएल) ने कायसन फार्मा के 22 बैचों (जैसे KL-25/147 और KL-25/148) पर बैन लगा दिया है और स्टॉक रिकॉल का आदेश दिया। जुलाई से अब तक 1.33 लाख बोतलें वितरित हो चुकी हैं, जिनमें से 8,200 जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में बची हैं। डॉक्टरों को 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दवा न देने की हिदायत दी गई है।
स्वास्थ्य विभाग ने 3 सदस्यीय जांच समिति गठित की है और सैंपल राज्य प्रयोगशाला भेजे गए हैं। ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने कहा कि जांच रिपोर्ट 3 दिनों में आएगी। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने भी सैंपल एकत्र कर जांच शुरू कर दी है।
हालांकि, स्वास्थ्य निदेशालय ने स्पष्ट किया कि मौतें सरकारी सिरप से नहीं हुईं, क्योंकि प्रोटोकॉल के अनुसार बच्चों को यह दवा नहीं दी जाती। लेकिन परिवारों के दावों से विवाद बढ़ा है।
विशेषज्ञों की राय और चेतावनीविशेषज्ञों का कहना है कि डेक्सट्रोमेथॉर्फन युक्त कफ सिरप बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है, खासकर अगर दूषित हो। अमेरिकी एफडीए ने 6 वर्ष से कम बच्चों को ऐसी दवाओं से दूर रहने की चेतावनी दी है। भारत में भी ओवर-द-काउंटर बिक्री पर नियंत्रण की कमी है।
यह पहला मामला नहीं है। 2023 में कायसन फार्मा का सिरप मेंटॉल की कमी के कारण बैन हो चुका था। 2022 में गाम्बिया में भारतीय सिरप से 70 बच्चों की मौत हुई थी।
माता-पिता को सलाह: डॉक्टर की सलाह बिना दवा न दें, खासकर बच्चों को। सर्दी-खुकसी में घरेलू उपाय जैसे भाप या शहद (1 वर्ष से ऊपर) आजमाएं।
जाहिर है यह घटना दवा गुणवत्ता नियंत्रण और सरकारी खरीद प्रक्रिया पर सवाल उठाती है। जांच पूरी होने तक सतर्क रहें।




