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आज देशभर में मनाया जा रहा भाई-बहन के प्यार का पवित्र त्योहार, जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

पूरे देश में भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाने वाला यह पर्व इस वर्ष 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जा रहा है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं और उपहार भेंट करते हैं।

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राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा, जिसके कारण राखी बांधने के लिए दिनभर शुभ समय रहेगा। हालांकि, राहुकाल का ध्यान रखना आवश्यक है।

राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

प्रमुख मुहूर्त : सुबह 05:47 बजे से दोपहर 01:24 बजे तक (कुल अवधि: 7 घंटे 37 मिनट)।

अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:00 बजे से 12:53 बजे तक (सर्वकार्य सिद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ समय)।

राहुकाल (वर्जित समय) : सुबह 09:07 बजे से 10:47 बजे तक। इस दौरान राखी बांधने से बचें।

इसके अतिरिक्त, इस वर्ष रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि योग, शोभन योग, और श्रवण नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो इस पर्व को और भी शुभ और फलदायी बनाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, यह संयोग करीब 95-100 वर्षों बाद बना है, जिससे इस दिन राखी बांधने का महत्व और बढ़ गया है।

राखी बांधने की विधि

1. तैयारी : सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। राखी की थाली में राखी, रोली, अक्षत, दीपक, मिठाई और जल का लोटा सजाएं।

2. पूजा : भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बिठाएं। सबसे पहले गणेश जी और इष्ट देवता की पूजा करें।

3. तिलक और राखी : भाई के माथे पर रोली और अक्षत से तिलक करें। इसके बाद दाहिनी कलाई पर राखी बांधें और मंत्र पढ़ें: “येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि, रक्षे माचल माचल:।।”

4. आरती और मिठाई : भाई की आरती उतारें, मिठाई खिलाएं और उनकी लंबी उम्र की कामना करें।

5. उपहार : भाई अपनी बहन को उपहार दें और उनकी रक्षा का वचन लें।

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन केवल एक धागे का त्योहार नहीं, बल्कि भाई-बहन के बीच प्रेम, विश्वास और जिम्मेदारी का प्रतीक है। यह पर्व भारतीय संस्कृति में परिवारिक एकता और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देता है। इस दिन न केवल रक्त संबंधी भाई-बहन, बल्कि मित्र, सैनिक, और पर्यावरण के प्रति भी राखी बांधकर प्रेम और रक्षा का संदेश दिया जाता है। उदाहरण के लिए, उत्तराखंड और ओडिशा में भगवान राम और जगन्नाथ के लिए राखी तैयार की गई, जो इस पर्व की व्यापकता को दर्शाता है।

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