सड़क है या गड्ढे !
टीम दृष्टि
झारखंड सरकार विकास के नाम पर लाख घोषणा कर रही है और रोज नया आकड़े दे रही है लेकिन विकास और संवेदको की कोई मनमानी देखनी हो तो चतरा जिले के हंटरगंज भाया जोरी की सड़कों को जरुर देखें जहां लंबे समय से सड़कों का निर्माण अधूरा पड़ा है वही उड़ते धूल के कारण आसपास के लोगों का जीना भी दुर्लभ हो गया है।
जो चतरा कभी जंगल पहाड़ स्वस्छ हवा के कारण कश्मीर की हसीन वादियों की तरह जाना जाता था आज वही चतरा गंदी हवा उड़ती धूल और टूटे फूटे सड़कों के कारण चर्चा मैं है यहां संवेदको की इतनी मनमानी है की जब इनकी इच्छा होती है तो काम करते हैं और जब इच्छा नहीं होती तो लंबे समय तक क्यों ही छोड़ दिया जाता है अभी रास्ते में कितने गड्ढे है कि इन रास्तों पर वाहनों को तो छोड़ दीजिए पैदल चलना हे नामुमकिन से बराबर है रास्तों पर चलने वाले प्रत्येक वाहन चालक और यात्री को सर पर कफन बांधकर चलना पड़ता है आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जहां इन रास्तों पर अभी निर्माण कार्य अधूरा है वही संवेदक के द्वारा जंगलों में नाली का निर्माण कराया जा रहा है जिस पर स्थानीय प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि तक मौन है
इन रास्तों पर हो रहे दुर्घटनाओं और आम जनता के तकलीफों पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। सरकार के विकास के वादे और आंकड़े भी यहां सही साबित नहीं हो पाते है। इन दिनों हिंदू जैन बौद्ध धर्म के नाम पर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल पर अपने आप को चिन्हित करने वाले कौलेश्वरी पर्वत और बोधगया को जोड़ने वाली चतरा की मुख्य मार्ग और राष्ट्रीय राजमार्ग 99 होने के बाद भी इसका निर्माण लंबे समय से लटकना चतरा जिला वासियों के लिए चिंता का विषय है।