H3N2 News:-पांच काेराेना मरीज मिले, इनमें चार पटना के:किसी की ट्रैवल हिस्ट्री नहीं, सभी मरीज घर में ही इलाजरत
H3N2 News
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!प्रेरणा चौरसिया
Drishti Now Ranchi
कोरोना के मरीज पहले H3N2 के रूप में सामने आए और स्वाइन फ्लू के मामले कम होने लगे। रविवार को कोरोना के पांच मरीज मिले। एक मरीज मुजफ्फरपुर का है, और इनमें से चार पटना के रहने वाले हैं. पटना में मिले कोरोना के मरीज काली मंदिर, बाढ़, पालीगंज और बेली रोड निवासी हैं. सिविल सर्जन कार्यालय के अनुसार, उनमें से किसी का भी यात्रा का इतिहास नहीं है। सिर्फ पटना में इनमें से कोई संक्रमित हुआ है। सभी मरीज घर पर ही इलाज करा रहे हैं। किसी को अस्पताल का बिस्तर नहीं दिया जाता है।
साथ ही सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों की देखभाल के लिए योजना बनाई गई है। विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना से बचाव अभी भी जरूरी है। जैसे भीड़ में रहते हुए मास्क पहनना। घर के किसी भी संक्रमित निवासी को अलग कर दें। उन्हें युवा लोगों या बुजुर्गों के करीब होने की जरूरत नहीं है। यदि आपने पहले से नहीं लिया है तो कोरोना वैक्सीन या बूस्टर खुराक लेनी चाहिए।

बच्चों की चोट का समय पर सही इलाज नहीं होने पर भविष्य में हड्डी में टेढ़ापन की आशंका
इधर, ग्लोबल ऑर्थाेपेडिक फोरम की ओर से आयोजित हड्डी रोग विशेषज्ञों के सम्मेलन में पांच महिला हड्डी रोग विशेषज्ञों ने मंच साझा किया। मुंबई से आई बच्चों के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. रूजुता मेहता ने कहा कि बच्चों के चोट का समय पर सही इलाज होना चाहिए नहीं तो भविष्य में हड्डी में टेढ़ापन होने की संभावना रहती है। इसकी तरह से मुंबई की डॉ. अनिशा बाल्वी, बेंगलुरू से डॉ. आराधना, महाराष्ट्र से डॉ. विविशा कुलर्णी, नागपुर से डॉ. नेहा हड्डी संबंधित विभिन्न बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली नई तकनीक पर विस्तार से चर्चा की।
कूल्हे के नीचे लगने वाली चोट के बाद आने वाली विकृतियों के इलाज पर चर्चा की
जयपुर के डॉ. विजय सिंह और गुजरात के डॉ. विकास जैन ने कुल्हा के नीचे लगने वाले चोट के बाद आने वाली विकृतियों के इलाज पर चर्चा की। आयोजन सचिव डॉ. अमूल्य कुमार सिंह ने कहा कि इस सम्मेलन यहां के हड्डी रोग विशेषज्ञों को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा है। खासकर इलाज में इस्तेमाल होने वाली नई तकनीक की जानकारी मिली है। कार्यशाला में सर्जरी करके भी दिखाई गई। गोफकॉन सम्मेलन में देश के विभिन्न शहरों के करीब 800 हड्डी रोग विशेषज्ञों ने शिरकत की।
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