बोकारो में बहू ने निभाया बेटे का फर्ज, ससुर को दी मुखाग्नि, बेटा-बेटियाँ ने मुखाग्नि देने से किया इनकार
बोकारो में बहू ने निभाया बेटे का फर्ज, ससुर को दी मुखाग्नि, बेटा-बेटियाँ ने मुखाग्नि देने से किया इनकार
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!बोकारो : बोकारो शहर में एक ऐसी घटना ने सबको भावुक कर दिया है, जिसमें सगे बेटे और दोनों बेटियों के इनकार करने के बावजूद छोटी बहू ने अपने ससुर का न केवल कंधा दिया, बल्कि मुखाग्नि भी दी और बेटे का पूरा फर्ज निभाया।सेक्टर-9, स्ट्रीट-2 निवासी 80 वर्षीय शोभाकांत ठाकुर का बुधवार को निधन हो गया। श्री ठाकुर के दो बेटे और दो बेटियाँ हैं। दुर्भाग्यवश उनका छोटा बेटा संजय ठाकुर कुछ वर्ष पहले ही इस दुनिया से चल बसा था।
अंतिम संस्कार के समय जब पार्थिव शरीर को कंधा देने और मुखाग्नि देने की बारी आई तो:
जीवित बड़ा बेटा ने स्पष्ट रूप से मुखाग्नि देने से इनकार कर दिया।
दोनों बेटियाँ, जो बोकारो शहर में ही रहती हैं, अपने पिता के अंतिम दर्शन तक के लिए नहीं पहुँचीं।
इस विकट परिस्थिति में स्वर्गीय संजय ठाकुर की पत्नी एवं घर की छोटी बहू नूतन ठाकुर ने हिम्मत दिखाई। उन्होंने न सिर्फ ससुर का पार्थिव शरीर कंधा दिया, बल्कि दामाद घाट पहुँचकर स्वयं मुखाग्नि भी दी।
नूतन ठाकुर ने मीडिया से बातचीत में भावुक स्वर में कहा,
“ससुर जी ने मुझे हमेशा बेटी की तरह प्यार दिया। अगर उनका अपना बेटा और बेटियाँ अपना फर्ज नहीं निभा सके, तो मैंने बेटे का फर्ज निभाया। मेरे लिए वो मेरे पिता ही थे।”इस घटना ने पूरे बोकारो शहर में चर्चा का विषय बन गया है। लोग एक तरफ जहाँ सगे संतानों के व्यवहार पर दुःख जता रहे हैं,
वहीं नूतन ठाकुर की बहादुरी, संस्कार और परिवार के प्रति निष्ठा की हर तरफ सराहना हो रही है।समाजशास्त्रियों का कहना है कि बदलते समय में रिश्तों की परिभाषाएँ बदल रही हैं, और कई बार खून के रिश्ते से बढ़कर कर्म के रिश्ते मजबूत साबित होते हैं। नूतन ठाकुर ने इसी बात को साबित कर दिखाया है।







