जूनियर कैंब्रिज विद्यालय के संस्थापक व सरना सनातन के ध्वजवाहक शीतल प्रसाद का निधन, सिमडेगा में शोक की लहर

शंभू कुमार सिंह
सिमडेगा जिले के जूनियर कैंब्रिज विद्यालय के संस्थापक, सरना सनातन धर्म के प्रखर ध्वजवाहक तथा नागपुरी साहित्य के प्रमुख संरक्षक शीतल प्रसाद के असामयिक निधन से पूरे क्षेत्र में गहन शोक की लहर दौड़ गई है। उनके निधन की खबर मिलते ही सामाजिक, धार्मिक व शैक्षिक जगत में स्तब्धता छा गई। शीतल प्रसाद न केवल एक समर्पित शिक्षक व समाजसेवी थे, बल्कि हिंदू-सरना समुदाय के मजबूत अभिभावक के रूप में भी जाने जाते थे।

सिमडेगा जिला बनने से लगभग तीन दशक पूर्व, नीचे बाजार पेट्रोल पंप के सामने घोंचो टोली की मुख्य पथ पर अंग्रेजी माध्यम का पहला जूनियर कैंब्रिज विद्यालय स्थापित करने वाले शीतल प्रसाद ने शिक्षा के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), बजरंग दल, नागपुरी उत्थान समिति सहित दर्जन भर सामाजिक-धार्मिक संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहते हुए उन्होंने हिंदुस्तान व जिले के विकास-उत्थान के लिए निरंतर योगदान दिया। लगभग छह दशकों तक सरना आदिवासी संस्कृति, राष्ट्र उत्थान व शिक्षा के प्रचार-प्रसार में सक्रिय रहने वाले शीतल प्रसाद ने कई संस्थाओं का गठन किया और उनके संस्थापक व अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारियां निभाईं।

उनकी व्यवहार कुशलता ऐसी थी कि जिले के सभी धर्मों व संप्रदायों के लोगों में उनकी विशिष्ट पहचान बनी रही। नागपुरी साहित्य के क्षेत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय है। भाषा के विकास हेतु गहन चिंतनशील रहते हुए उन्होंने ‘रामरेखा धाम’ की स्मारिका, नागपुरी पत्रिका, काव्य संग्रह सहित अनेक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन करवाया। साहित्यिक जगत में उनकी सक्रियता ने स्थानीय भाषा व संस्कृति को नई ऊंचाइयां प्रदान कीं।

जूनियर कैंब्रिज विद्यालय परिवार उनके निधन से अत्यंत मर्माहत है। शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। उनके मार्गदर्शन, स्नेहपूर्ण व्यवहार व समर्पण ने अनेक विद्यार्थियों का भविष्य संवारा। विद्यालय प्रबंधन ने कहा, “शीतल प्रसाद जी हमारे संस्थापक थे, जिनकी प्रेरणा से यह संस्थान आज इतना समृद्ध है। उनके बिना एक युग का अंत हो गया।”

उनके निधन से हिंदू-सरना-सनातन समुदाय ने अपना एक मजबूत स्तंभ खो दिया है, जिसकी भरपाई असंभव है। जिला प्रशासन, सामाजिक संगठनों व स्थानीय लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार क्षेत्रीय परंपराओं के अनुरूप किया। शोक संतप्त परिवार के प्रति सबकी संवेदनाएं हैं।





