क्या मुफ्त की रेवड़ियों पर लगेगा ग्रहण ? सुप्रीम कोर्ट के तेवर तल्ख
पूरे भारत में इन दोनों फ्री बीज यानी मुफ्त की रेवड़ी की चर्चा है कोई भी चुनाव हो और कोई भी पार्टी हो जनता को मुक्त की रेवड़ियां बांटने में पीछे नहीं हटती और इसका फायदा सभी पार्टियों को भी होता है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!चाहे मध्य प्रदेश हो महाराष्ट्र हो छत्तीसगढ़ हो झारखंड हो या दिल्ली सत्ता में आने का शॉर्टकट रास्ता मुफ्त की रेवड़ी बन गई है इसी को लेकर आज देश का सर्वोच्च न्यायालय नाराज नजर आया ।
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सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों से पहले मुफ्त उपहारों की घोषणा पर नाराजगी जताते हुए कड़ी टिप्पणी की है। अदालत का कहना है कि इन योजनाओं के कारण लोग काम में मन नहीं लगता हैं। केंद्र सरकार शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, जिसमें बेघर लोगों के लिए आश्रय का प्रावधान शामिल होगा। इसी से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की।
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार यानी आज चुनावों से पहले मुफ्त (फ्री बीज) यानी उपहारों की घोषणा करने की प्रथा पर नाराजगी जाहिर की है ।
जस्टिस बी. आर. गवई और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच शहरी क्षेत्रों में बेघर लोगों के आश्रय के अधिकार से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
बेंच ने कहा कि सरकार को लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने और उन्हें राष्ट्र के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
जस्टिस गवई ने कहा कि दुर्भाग्यवश, इन मुफ्त योजनाओं के कारण लोग काम करने के इच्छुक नहीं हैं। उन्हें बिना काम किए मुफ्त राशन और धनराशि मिल रही है।









