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इजरायल और ईरान के बीच तनाव चरम पर: लगातार दूसरे दिन हमले, जवाबी कार्रवाई में ईरान ने दर्जनों मिसाइलें दागीं

मध्य पूर्व में तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है, क्योंकि इजरायल ने लगातार दूसरे दिन ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए। जवाब में, ईरान ने इजरायल के प्रमुख शहरों तेल अवीव और यरुशलम पर दर्जनों बैलिस्टिक मिसाइलें दागकर जवाबी कार्रवाई की। इस अभूतपूर्व संघर्ष ने क्षेत्रीय युद्ध की आशंका को और गहरा कर दिया है।

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इजरायल ने शुक्रवार तड़के “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान के नतांज में मुख्य यूरेनियम संवर्धन सुविधा सहित 100 से अधिक लक्ष्यों पर हमला किया। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया कि इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। इजरायली सेना के अनुसार, हमलों में ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर होसैन सलामी और सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बघेरी सहित कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और छह परमाणु वैज्ञानिक मारे गए।

इजरायल का दावा है कि यह हमला ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के लिए जरूरी था। नेतन्याहू ने कहा, “हमारा उद्देश्य ईरान की तानाशाही व्यवस्था के खिलाफ है, न कि ईरानी जनता के।”

ईरान ने इजरायल के हमलों को “युद्ध की घोषणा” करार देते हुए शुक्रवार रात और शनिवार तड़के तेल अवीव, यरुशलम और अन्य इजरायली शहरों पर “सैकड़ों” बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी IRNA ने इसे “जवाबी कार्रवाई की शुरुआत” बताया। इजरायली सेना ने दावा किया कि अधिकांश मिसाइलें आयरन डोम रक्षा प्रणाली द्वारा रोक दी गईं, लेकिन कुछ मिसाइलों और मलबे से तेल अवीव और रमात गान में नुकसान हुआ, जिसमें एक महिला की मौत और 41 लोग घायल हो गए।

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने इजरायल को “कठोर सजा” की चेतावनी दी और कहा कि हमलों में 78 लोग मारे गए और 320 से अधिक घायल हुए, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह हमलों से अवगत थे, लेकिन अमेरिका ने इसमें कोई सैन्य भूमिका नहीं निभाई। हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने इजरायल को खुफिया जानकारी प्रदान की और ईरानी मिसाइलों को रोकने में सहायता की। ट्रंप ने ईरान से परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत के लिए “दूसरा मौका” लेने की बात कही।

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