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गजब का उत्साह दिखा रांची में दो दिनों तक विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर

झारखण्ड आदिवासी महोत्सव 2024
बिरसा मुण्डा स्मृति उद्यान,राँची
समृद्ध आदिवासी जीवन दर्शन की झलक

*बिरसा मुण्डा स्मृति उद्यान, राँची में झारखंड आदिवासी महोत्सव 2024 के दूसरे दिन की शुरुआत ‘’द सजनीग्रुप ‘’ नागपुरी बैंड के द्वारा आधुनिक नागपुरी और कुडूख गीत से हुई। गायक विवेक नायक ने अपनी मंत्रमुग्ध आवाज़ से दर्शकों का मनोरंजन किया। दर्शकों ने भी गायक के साथ कदम ताल करते हुए गायक के साथ समाँ बांधा। गायक विवेक नायक ने झारखंड सरकार द्वारा आयोजित इस भव्य आयोजन की सराहना की है। कहा कि मुझे दर्शकों के बीच परफॉर्म करते हुए ख़ुशी हुई है। उन्हें और उनकी टीम को इस तरह का मंच उपलब्ध कराने के लिए झारखंड सरकार को धन्यवाद दिया ।*

*त्रिपुरा के पारंपरिक आदिवासी नृत्य ममिता नृत्य की प्रस्तुति ने लोगों को लुभाया और मिज़ोरम से आए कलाकारों ने अपने पारंपरिक परिधान एवं वाद्ययंत्र के साथ-साथ पारम्परिक चेराओ नृत्य से कार्यक्रम में अद्भुत समा बांधा । महाराष्ट्र से आए कलाकारों ने इस भव्य आयोजन के विशाल मंच से सभी झारखंड वासियों का जोहार झारखंड से अभिवादन किया। महाराष्ट्र से पधारे ट्राइबल कलाकारों ने कार्यक्रम की शुरुआत में बांसुरी की धुन से दर्शकों को मोहित कर दिया। कलाकारों द्वारा प्रस्तुत महाराष्ट्र के आदिवासी पारंपरिक नृत्य खापरी से बिरसा मुण्डा स्मृति उद्यान जोश और उमंग से खिल उठा। अद्भुत संस्कृति, परंपरा, एवं इतिहास के अनूठे संगम का उत्सव सा छा गया ।*

*झारखण्ड आदिवासी महोत्सव 2024 में असम से आए ट्राइबल कलाकारों द्वारा कार्बी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। कलाकारों द्वारा प्रस्तुत असम के आदिवासी पारंपरिक नृत्य कार्बी ने दर्शकों का खूब प्यार पाया। असम के पारंपरिक परिधान, वाद्ययंत्र, अद्भुत संस्कृति, परंपरा, एवं इतिहास की लय से परिपूर्ण गीत एवं नृत्य की प्रस्तुति को लोगो ने खूब सराहा।*

*राजस्थान से आए कलाकारों द्वारा होली ढोल गैर नृत्य की प्रस्तुति दी गई। होली ढोल गैर नृत्य राजस्थान के लोकप्रिय, प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। कलाकारों द्वारा प्रस्तुत राजस्थान के इस पारंपरिक नृत्य पर दर्शकों द्वारा खूब प्यार दिया जा गया।*

*झारखंड के बोकारो से आए कलाकारों द्वारा झारखंड का _पांता झूमर_ नृत्य प्रस्तुत किया गया। झारखंडी लोक कला व संस्कृति से जुड़े पांता झूमर की दमदार प्रस्तुति पर जमकर झूमे दर्शक। झारखंड के वीर सपूतों के बलिदान को गीत के माध्यम से याद किया गया। इस अद्भुत प्रस्तुति ने कार्यक्रम स्थल में मौजूद सभी लोगों में ऊर्जा का संचार उत्पन्न कर दिया।उत्तर प्रदेश से आए कलाकारों द्वारा उत्तर प्रदेश का पारंपरिक लोकनृत्य शैला नृत्य प्रस्तुत किया गया। शैला नृत्य उ० प्र० के वाराणसी, सोनभद्र, मिर्ज़ापुर , जनपदों के घने जंगलो एवं मैदानी क्षेत्रों में बसे गोंड समुदाय का प्रसिद्ध प्राचीन नृत्य-गीत है। इस नृत्य गीत को मुख्यतः गोंड आदिवासी समाज के लोग हजारों वर्षों से अपने परम्परागत खेती, उत्सव पर्व, हर्ष उल्लास एवं प्रकृति के जीवन्त उत्सव पर करते हैं । आज के इस उत्सव में कलाकारों के इस प्रदर्शन ने सभी दर्शकों को खूब आनंदित किया एवं दर्शकों ने भी ढेर सारा प्यार दिया।*

*◆झारखंड की बेटी ज्योति साहू की प्रस्तुति से झूमे दर्शक*

*झारखंड आदिवासी महोत्सव 2024 में लोग साक्षी बने समृद्ध आदिवासी जीवन दर्शन के। 10 अगस्त यानि समापन दिवस को संस्कृति और इतिहास का अनूठा संगम स्थल बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान, रांची में आयोजित भव्य समारोह में झारखंड की बेटी ज्योति साहू की आकर्षक प्रस्तुति ने लोगों को खूब लुभाया।झारखंड की पार्श्व गायिका श्रीमती ज्योति साहू जिन्होंने 7 वर्ष की छोटी सी उम्र में ही अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत कर दी थी। इनका पहला नागपुरी एल्बम “सोने कर पिंजरा” 1995 में रिलीज़ हुआ था, हिंदी, भोजपुरी, नागपुरी, संथाली, खोरठा, कुडुख आदि भाषाओं में लगभग 4,000 ऑडियो-वीडियो एल्बम में अपनी आवाज़ दी है। झारखंड में बनने वाली छोटे-बड़े स्तर की लगभग 40 से भी ज्यादा फिल्मों में इन्होंने अपनी आवाज दी है जिसमें हालिया NETFLIX पर रिलीज जामताड़ा पार्ट-2 भी शामिल है। प्रथम झारखंड अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव “JIFFA” में “झारखंड की ‘सर्वश्रेष्ठ महिला गायिका’ के खिताब से सम्मानित हो चुकी हैं।*

*झारखण्ड आदिवासी महोत्सव 2024 के समापन समारोह के भव्य कार्यक्रम में आश्रम विद्यालय के छात्र और छात्राओं के द्वारा चारित्रिक गुणों पर आधारित एक आरोहण गीत की प्रस्तुति की गई। छोटे-छोटे बच्चों की प्रस्तुति ने लोगों को चारित्रिक गुणों का संदेश देने के साथ-साथ खूब मनोरंजन किया।*

*झारखण्ड आदिवासी महोत्सव 2024 में झारखण्ड के 7 क्षेत्रीय एवं जनजातीय संथाली नृत्य, मुंडारी नृत्य, खरवार नृत्य, कड़सा नृत्य, पंचपरगनियाँ नृत्य, घोड़ा नृत्य उरांव नृत्य, चांवर पैंकी नृत्य की प्रस्तुति ने समापन समारोह को और भी भव्य और आकर्षक बना दिया।*

*अद्भुत प्रदर्शन ने पूरे झारखंड पर आधारित झांकी को नृत्य, गीत के माध्यम से एक मंच पर उतार दिया, मानो झारखंड की प्रकृति, परंपरा, संस्कृति, इतिहास सब कुछ एक मंच पर सुसज्जित हो। काफी रोमांच से परिपूर्ण कला के प्रदर्शन का आज लोग साक्षी बने।*

*झारखण्ड आदिवासी महोत्सव 2024 के समापन समारोह में आए कलाकार प्रभात कुमार महतो एवं उनकी टीम ने झारखंड की संस्कृति को दर्शाने वाले पारंपरिक मानभूम छउ नृत्य से इस भव्य कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। उल्लास और जोश से भरे कलाकारों ने दर्शकों को खूब झुमाया। मानभूम शैली के छऊ नृत्य में शारीरिक भाव भंगिमा प्रमुख रहती हैं । मानभूम छऊ नृत्य के अभिन्न अंग के रूप में शामिल विभिन्न वाद्ययंत्रों और उनके पारंपरिक स्वरुप ने सभी दर्शकों को अपने अपने जगह पर थिरकने पर मजबूर कर दिया। प्रभात कुमार महतो एवं उनकी टीम के कलाकारों ने 11 देशों में अपनी प्रस्तुति से देश दुनिया में झारखंड की पहचान को गौरवान्वित किया है।

 

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