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जमशेदपुर: साकची एमजीएम अस्पताल परिसर में हनुमान मंदिर और पीपल पेड़ हटाने के प्रस्ताव पर हिंदू संगठनों का तीव्र विरोध

जमशेदपुर: साकची एमजीएम अस्पताल परिसर में हनुमान मंदिर और पीपल पेड़ हटाने के प्रस्ताव पर हिंदू संगठनों का तीव्र विरोध

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जमशेदपुर, 14 अगस्त : साकची स्थित पुराने महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) अस्पताल परिसर में नए भवन निर्माण के लिए प्राचीन हनुमान मंदिर और पीपल के पेड़ को हटाने के प्रस्ताव के खिलाफ हिंदू संगठनों ने जोरदार विरोध दर्ज किया है। इस मुद्दे ने स्थानीय समुदाय में तीव्र आक्रोश पैदा कर दिया है, और संगठनों ने मंदिर व पेड़ को बचाने के लिए आंदोलन की चेतावनी दी है।

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विवाद का कारण

1961 से साकची में संचालित एमजीएम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल को हाल ही में डिमना रोड स्थित नए, अत्याधुनिक भवन में स्थानांतरित किया गया है। पुराने परिसर में अब 500 बेड का नया अस्पताल भवन बनाने की योजना है, जिसके लिए पुरानी इमारतों को तोड़ा जा रहा है। परिसर के मुख्य प्रवेश द्वार पर स्थित एक प्राचीन पीपल का पेड़ और इसके नीचे बना हनुमान मंदिर इस निर्माण योजना में बाधा बन रहा है। प्रशासन द्वारा इन्हें हटाने का प्रस्ताव रखा गया है, जिसका हिंदू संगठनों, विशेष रूप से विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और अन्य स्थानीय समूहों ने कड़ा विरोध किया है.

हिंदू संगठनों का रुख

हिंदू संगठनों का कहना है कि पीपल का पेड़ और हनुमान मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। संगठनों ने स्पष्ट किया है कि वे किसी भी कीमत पर मंदिर और पेड़ को हटाने की अनुमति नहीं देंगे। विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय नेताओं ने कहा, “यह मंदिर और पीपल का पेड़ हमारी आस्था और परंपरा का प्रतीक है। अगर ठेकेदार या प्रशासन ने इन्हें हटाने की कोशिश की, तो हम बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे।” संगठनों ने यह भी मांग की है कि निर्माण योजना में मंदिर और पेड़ को संरक्षित रखने के लिए वैकल्पिक उपाय किए जाएं।

प्रशासन और निर्माण की स्थिति

एमजीएम अस्पताल के पुराने परिसर में नए भवन के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। निर्माण कार्य को तेजी से पूरा करने के लिए पुराने भवनों को तोड़ा जा रहा है, और उम्मीद है कि डेढ़ साल में नया अस्पताल तैयार हो जाएगा। नए भवन में आधुनिक ऑपरेशन थिएटर, इमरजेंसी सेवाएं, डिजिटल स्वास्थ्य सुविधाएं और अत्याधुनिक उपकरण होंगे। हालांकि, प्रशासन ने मंदिर और पेड़ को हटाने के मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया है। कई लोगों का कहना है कि मंदिर और पीपल का पेड़ दशकों से परिसर का हिस्सा रहे हैं और इन्हें हटाना उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कदम होगा। कुछ निवासियों ने सुझाव दिया है कि निर्माण योजना को संशोधित कर मंदिर और पेड़ को बरकरार रखा जा सकता है।

हिंदू संगठनों ने प्रशासन और ठेकेदारों को चेतावनी दी है कि अगर मंदिर और पेड़ को हटाने की कोशिश की गई, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे। इस बीच, प्रशासन के सामने चुनौती है कि वह धार्मिक भावनाओं और विकास कार्यों के बीच संतुलन कैसे बनाए। इस मुद्दे पर जल्द ही प्रशासन और संगठनों के बीच बातचीत की उम्मीद है ताकि कोई समाधान निकाला जा सके।

साकची के पुराने एमजीएम अस्पताल परिसर में हनुमान मंदिर और पीपल के पेड़ को हटाने का विवाद एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है। यह मामला न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक विरासत को बचाने का भी सवाल उठाता है। अब सभी की नजरें प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं।

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