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हाथ मलते रह गए डोनाल्ड ट्रंप, वेनेजुएला की लोकतंत्र सेनानी मारिया कोरिना मचाडो को मिला नोबेल शांति पुरस्कार

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ओस्लो (नॉर्वे) : नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी ने 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा कर दी है। इस बार पुरस्कार वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया है, जिन्होंने तानाशाही के खिलाफ लोकतंत्र की अलख जगाई है। यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है, जो लगातार अपने दूसरे कार्यकाल में वैश्विक संघर्षों को सुलझाने का दावा करते हुए पुरस्कार के प्रबल दावेदार के रूप में खुद को पेश कर रहे थे।

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ट्रंप ने हाल ही में गाजा युद्ध को समाप्त करने के लिए एक चरणबद्ध समझौते की शुरुआत की घोषणा की थी, जिसे उन्होंने अपनी “शांति मसीहा” की छवि मजबूत करने का हथियार बनाया। वह सात प्रमुख वैश्विक संघर्षों में मध्यस्थता का दावा करते हुए बार-बार नोबेल कमेटी पर दबाव बनाने की कोशिश करते रहे। लेकिन कमेटी ने स्पष्ट कर दिया कि पुरस्कार 2024 की उपलब्धियों के आधार पर दिया जाता है, और ट्रंप के प्रयासों को अभी पर्याप्त मान्यता नहीं मिली।

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मारिया कोरिना मचाडो: लोकतंत्र की निडर योद्धा

मारिया कोरिना मचाडो को यह पुरस्कार “वेनेजुएला के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक संक्रमण की लड़ाई” के लिए दिया गया है। नोबेल कमेटी के चेयरमैन जॉर्डिस फ्राइडनेस ने कहा, “मचाडो ने वेनेजुएला के विपक्ष को एकजुट किया है और समाज के सैन्यीकरण का डटकर मुकाबला किया। वह लोकतंत्र की ज्योति को बढ़ती अंधेरे में जलाए रखने वाली बहादुर योद्धा हैं।”

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मचाडो, जो वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के दमनकारी शासन के खिलाफ खड़ी हैं, ने 2024 के राष्ट्रपति चुनावों में विपक्षी उम्मीदवार एडमंडो गोंजालेज की जगह ली थी। उन्होंने लाखों लोगों को प्रेरित किया और स्वतंत्र चुनावों की मांग को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया। पुरस्कार की घोषणा पर मचाडो ने भावुक प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह पुरस्कार मेरे लिए नहीं, बल्कि वेनेजुएला के उन लाखों लोगों के लिए है जो स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं।” दिलचस्प बात यह है कि मचाडो ने पुरस्कार को आंशिक रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को समर्पित किया, जिनके समर्थन ने वेनेजुएला के विपक्ष को मजबूती दी।

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वेनेजुएला में मादुरो शासन के खिलाफ मचाडो की मुहिम ने लाखों प्रदर्शनकारियों को सड़कों पर उतारा। संयुक्त राष्ट्र ने भी इस पुरस्कार को वेनेजुएलावासियों की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं की मान्यता बताया है। मचाडो लैटिन अमेरिका की छठी नोबेल शांति विजेता हैं और वेनेजुएला की पहली। पुरस्कार समारोह 10 दिसंबर को ओस्लो में होगा, लेकिन सुरक्षा कारणों से मचाडो की उपस्थिति अनिश्चित है।

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ट्रंप का सपना चकनाचूर: शांति प्रयासों पर सवाल

दूसरी ओर, ट्रंप के समर्थकों ने इस फैसले पर निराशा जताई है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मैंने दुनिया के सात युद्धों में शांति की दिशा में अभूतपूर्व कदम उठाए, लेकिन नोबेल कमेटी ने फिर से अन्याय किया।” उनके दूसरे कार्यकाल में गाजा, यूक्रेन और अन्य क्षेत्रों में मध्यस्थता के दावों के बावजूद, कमेटी ने स्पष्ट किया कि पुरस्कार तत्कालीन उपलब्धियों पर आधारित होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के प्रयासों को भविष्य में मान्यता मिल सकती है, लेकिन 2025 का पुरस्कार मचाडो की निडरता को प्राथमिकता देता है।

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