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सिमडेगा में बाल विवाह उन्मूलन पर छात्रों को जागरूक, मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालय में विधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

शंभू कुमार सिंह 

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सिमडेगा : जिला विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर गुरुवार को मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालय (एसएस +2), सिमडेगा में बाल विवाह रोकथाम विषय पर विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं को बाल विवाह की गंभीर सामाजिक बुराई एवं इसके कानूनी दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना था।

कार्यक्रम में पारा लीगल वॉलंटियर्स (पीएलवी) ने छात्रों को विस्तार से समझाया कि बाल विवाह न केवल एक कुप्रथा है, बल्कि भारतीय दंड संहिता एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत यह दंडनीय अपराध भी है। इस कानून के अनुसार लड़कियों की विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष निर्धारित है। निर्धारित आयु से कम उम्र में विवाह कराने पर अभिभावकों, रिश्तेदारों, पंडित-मौलवी सहित सभी सहयोगियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

पीएलवी ने बाल विवाह से होने वाले शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक नुकसान पर भी प्रकाश डाला। कम उम्र में विवाह से शिक्षा अधर में लटक जाती है, किशोरियों में कुपोषण एवं प्रसव के दौरान जोखिम बढ़ जाता है तथा घरेलू हिंसा की संभावना भी अधिक हो जाती है।

कार्यक्रम में आशा पहल, चाइल्डलाइन-1098, बाल संरक्षण इकाई एवं अन्य सरकारी योजनाओं की जानकारी भी दी गई, ताकि बच्चे अपने अधिकारों को जानें और जरूरत पड़ने पर तुरंत मदद ले सकें।

कार्यक्रम में पीएलवी दीपक कुमार, सुरजीत प्रसाद, विष्णु प्रसाद एवं उपेंद्र कुमार उपस्थित रहे। छात्र-छात्राओं ने बाल विवाह से जुड़े कई सवाल पूछे, जिनका संतोषजनक जवाब दिया गया।

जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव मरियम हेमरोम ने बताया कि आशा (Access to Justice for All) कार्यक्रम के तहत जिले भर में इस तरह के जागरूकता अभियान निरंतर चलाए जा रहे हैं, ताकि बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को जड़ से समाप्त किया जा सके।

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