अंडमान सागर में तेल भंडार की खोज: भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के समीप अंडमान सागर में गुयाना के आकार के विशाल तेल भंडार की खोज ने भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता और वैश्विक भूराजनीति में एक नई ऊंचाई प्रदान की है। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दावा किया है कि इस तेल भंडार का आकार गुयाना के 11.6 बिलियन बैरल के समकक्ष है, जिसका अनुमानित मूल्य $20 ट्रिलियन से अधिक है। यह खोज भारत की आर्थिक, सामरिक और ऊर्जा सुरक्षा के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!भारत अपनी 85-88% तेल आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर है, जिससे अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव पड़ता है। यह तेल भंडार आयात निर्भरता को कम करने और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने का सुनहरा अवसर है। विश्लेषकों का अनुमान है कि 2027 तक भारत प्रतिदिन 2.45 लाख बैरल कच्चा तेल निकाल सकता है, जिससे आयात बिल में भारी कमी आएगी।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह मलक्का जलडमरूमध्य के पास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। यह खोज भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत बनाती है और मध्य पूर्व जैसे अस्थिर क्षेत्रों पर तेल निर्भरता कम करती है। यह भारत को इंडोनेशिया और म्यांमार जैसे पड़ोसियों के साथ ऊर्जा सहयोग बढ़ाने का अवसर भी देती है।
यह खोज भारत को वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बना सकती है, जैसा कि गुयाना में हुआ। यह भारत को तेल निर्यातक देशों की सूची में शामिल करेगा और ऊर्जा क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करेगा।



