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पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन हुए हाउस अरेस्ट, नगड़ी में “हल जोतो, रोपा रोपो” आंदोलन पर प्रशासन की सख्ती

पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन हुए हाउस अरेस्ट, नगड़ी में “हल जोतो, रोपा रोपो” आंदोलन पर प्रशासन की सख्ती

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रांची, 24 अगस्त : झारखंड की राजधानी रांची के नगड़ी इलाके में प्रस्तावित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS-2) के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे पर आंदोलन की तैयारी कर रहे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता चंपई सोरेन को रविवार सुबह उनके रांची स्थित सरकारी आवास में हाउस अरेस्ट कर लिया गया। यह कार्रवाई रांची के सदर डीएसपी की अगुवाई में पुलिस बल द्वारा की गई, ताकि सोरेन नगड़ी में आयोजित “हल जोतो, रोपा रोपो” आंदोलन में हिस्सा न ले सकें। इस घटना ने राज्य में राजनीतिक और सामाजिक हलचल को और तेज कर दिया है।

विवाद का केंद्र: RIMS-2 और नगड़ी की जमीन

रांची के कांके अंचल के नगड़ी मौजा में RIMS-2 के निर्माण के लिए प्रस्तावित जमीन को लेकर पिछले कई हफ्तों से स्थानीय आदिवासी समुदाय और ग्रामीणों का विरोध जारी है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह जमीन उनकी उपजाऊ कृषि भूमि है, जहां वे वर्षों से खेती करते आ रहे हैं। चंपई सोरेन ने इस मुद्दे पर ग्रामीणों का समर्थन करते हुए दावा किया है कि भूमि अधिग्रहण में नियमों का उल्लंघन हुआ है और यह कदम आदिवासियों की आजीविका और पहचान पर सीधा हमला है।

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अपने घर में मीडिया से बात करते पूर्व सीएम

सोरेन ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि 24 अगस्त को वे नगड़ी में “हल जोतो, रोपा रोपो” आंदोलन के तहत जमीन पर हल चलाएंगे और धान की रोपाई करेंगे। इस आंदोलन में हजारों ग्रामीणों और आदिवासी समुदाय के लोगों के जुटने की संभावना थी। उनका कहना है कि यह आंदोलन न केवल जमीन बचाने के लिए है, बल्कि आदिवासी और मूलवासी समुदाय के अधिकारों और झारखंड आंदोलन की भावना को जिंदा रखने का प्रतीक है।

प्रशासन की कार्रवाई: हाउस अरेस्ट हुए पूर्व CM

प्रशासन को आशंका थी कि इस आंदोलन के दौरान कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है। इसी आशंका के चलते रविवार सुबह सदर डीएसपी की अगुवाई में पुलिस ने चंपई सोरेन को उनके आवास से बाहर निकलने से रोक दिया। साथ ही, नगड़ी में प्रस्तावित RIMS-2 निर्माण स्थल के 200 मीटर की परिधि में बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा (धारा 144) लागू कर दी गई। इस आदेश के तहत पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने, ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग, और किसी भी प्रकार के हथियार या हरवे-हथियार ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

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चंपई  सोरेन के घर के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मी

प्रशासन ने क्षेत्र में भारी सुरक्षा व्यवस्था की है, जिसमें तीन लेयर की बैरिकेडिंग, वाटर कैनन, और रबर बुलेट जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, चंपई सोरेन के पुत्र और बीजेपी नेता बाबूलाल सोरेन के काफिले को भी सरायकेला से नगड़ी जाते समय तमाड़ में पुलिस ने रोक दिया। बाबूलाल ने थाना जाने से इंकार करते हुए एनएच-33 पर धरना शुरू कर दिया, जिससे तनाव और बढ़ गया।

चंपई सोरेन का पक्ष: “यह आदिवासियों का अपमान है”

चंपई सोरेन ने इस कार्रवाई को लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करार दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझकर आदिवासियों की उपजाऊ जमीन को निशाना बना रही है, जबकि रांची में लैंड बैंक और बंजर जमीन उपलब्ध है। सोरेन ने प्रेस वार्ता में पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उनका विरोध अस्पताल निर्माण से नहीं, बल्कि नियमों के उल्लंघन और आदिवासियों की जमीन छीनने से है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ग्रामीणों को बिना किसी पूर्व सूचना या नोटिस के उनकी जमीन से बेदखल किया जा रहा है, जो छोटा नागपुर टेनेंसी (CNT) एक्ट का उल्लंघन है।

सोरेन ने कहा, “झारखंड का आंदोलन जल, जंगल, और जमीन की रक्षा के लिए था। यदि हम अपनी जमीन खो देंगे, तो हमारा अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।” उन्होंने ग्रामीणों से शांतिपूर्ण आंदोलन में शामिल होने की अपील की थी, लेकिन प्रशासन की सख्ती ने उनके इस प्रयास को रोक दिया।

प्रशासन और सरकार का रुख

दूसरी ओर, झारखंड सरकार और प्रशासन का कहना है कि RIMS-2 का निर्माण जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए जरूरी है। स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि मांडर विधानसभा क्षेत्र में RIMS-2 के निर्माण से स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होगा और रांची के मौजूदा RIMS पर दबाव कम होगा। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे इस मुद्दे पर अनावश्यक राजनीति कर रहे हैं।

झामुमो नेता सुदिव्य सोनू ने भी विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि RIMS-2 जनता के हित में है, और जो भी इस परियोजना में बाधा डालेगा, उसे जनता जवाब देगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाए हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और समर्थन

इस विवाद ने झारखंड की राजनीति को गरमा दिया है। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की और बीजेपी की महिला मोर्चा नेता आरती कुजूर सहित कई नेताओं ने नगड़ी के ग्रामीणों के समर्थन में आवाज उठाई है। वहीं, बीजेपी ने इस मुद्दे को आदिवासी अस्मिता से जोड़ते हुए सरकार पर हमला बोला है। बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार आदिवासियों के हितों की अनदेखी कर रही है।

आंदोलन का भविष्य

चंपई सोरेन ने हाउस अरेस्ट के बावजूद अपने समर्थकों से आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखने की अपील की है। उनके समर्थकों का कहना है कि यह मुद्दा केवल नगड़ी की जमीन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे झारखंड में आदिवासी और मूलवासी समुदाय के अधिकारों की लड़ाई है। आंदोलनकारियों ने मांग की है कि सरकार RIMS-2 के लिए वैकल्पिक जमीन की व्यवस्था करे, ताकि आदिवासियों की उपजाऊ जमीन को बचाया जा सके।

जाहिर है RIMS-2 जमीन विवाद ने एक बार फिर झारखंड में विकास और आदिवासी अधिकारों के बीच टकराव को उजागर किया है। चंपई सोरेन का हाउस अरेस्ट से यह साफ है कि प्रशासन इस आंदोलन को दबाने की पूरी कोशिश कर रहा है।

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