भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता मिल का पत्थर साबित होगा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी : आइये जानते है यह समझौता देश की आर्थिक विकास की नई दिशा कैसे लिखेगा ?
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता मिल का पत्थर साबित होगा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी : आइये जानते है यह समझौता देश की आर्थिक विकास की नई दिशा कैसे लिखेगा ?
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!नवीन कुमार
भारत और यूनाइटेड किंगडम ने 6 मई 2025 को एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) और डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन (DCC) को अंतिम रूप दिया, जिसे 24 जुलाई 2025 को हस्ताक्षरित किया गया। यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “ऐतिहासिक मील का पत्थर” करार देते हुए कहा कि यह समझौता भारत-ब्रिटेन के व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करेगा। आइये जानते है इस समझौता की विशेषता:–
शुल्क में कमी :
– भारत के 99% निर्यात (मूल्य के हिसाब से लगभग 100%) को ब्रिटेन में शुल्क-मुक्त पहुंच प्राप्त होगी, जिसमें वस्त्र, चमड़ा, जूते, रत्न और आभूषण, समुद्री उत्पाद, और इंजीनियरिंग सामान शामिल हैं।
ब्रिटेन के 90% निर्यात पर भारत में शुल्क कम होगा, जिसमें व्हिस्की, जिन, ऑटोमोबाइल, मेडिकल डिवाइस, और खाद्य उत्पाद जैसे चॉकलेट, सैल्मन और लैंब शामिल हैं। व्हिस्की पर शुल्क 150% से घटकर पहले 75% और 10 वर्षों में 40% होगा।
सेवा क्षेत्र और पेशेवर गतिशीलता :
– यह समझौता भारतीय पेशेवरों, जैसे आईटी, स्वास्थ्य, और अन्य सेवा क्षेत्रों के लिए ब्रिटेन में आसान वीजा प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करता है। इसमें कॉन्ट्रैक्चुअल सर्विस सप्लायर्स, बिजनेस विजिटर्स, और स्वतंत्र पेशेवर जैसे योग प्रशिक्षक और शेफ शामिल हैं।
-डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन के तहत, भारतीय कर्मचारी और उनके नियोक्ता तीन साल तक ब्रिटेन में सोशल सिक्योरिटी योगदान से छूट प्राप्त करेंगे, जिससे लागत और प्रशासनिक बोझ कम होगा।
आर्थिक प्रभाव :
– यह समझौता 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 60 बिलियन डॉलर से दोगुना कर 100 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखता है।
ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को 2040 तक प्रतिवर्ष 4.8 बिलियन पाउंड का लाभ और भारत में रोजगार सृजन, विशेष रूप से श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे वस्त्र और चमड़ा में, होने की उम्मीद है।
रणनीतिक महत्व :
ब्रेक्सिट के बाद यह ब्रिटेन का सबसे महत्वपूर्ण व्यापार समझौता है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में उसकी स्थिति को मजबूत करता है
भारत के लिए, यह समझौता वैश्विक व्यापार में उसकी स्थिति को सुदृढ़ करता है और पारंपरिक बाजारों पर निर्भरता को कम करता है।
भारत के लिए अन्य सक्रिय FTA :
24 जुलाई 2025 तक, भारत के निम्नलिखित देशों और क्षेत्रीय समूहों के साथ FTAs लागू हैं:
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) : CEPA (1 मई 2022) – रत्न, आभूषण, और फार्मास्यूटिकल्स में निर्यात को बढ़ावा।
ऑस्ट्रेलिया: ECTA (29 दिसंबर 2022) – 96% भारतीय निर्यात को शुल्क-मुक्त पहुंच।
जापान: CEPA (1 अगस्त 2011) – इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल में सहयोग।
दक्षिण कोरिया: CEPA (1 जनवरी 2010) – स्टील और कृषि उत्पादों में व्यापार।
सिंगापुर: CECA (1 अगस्त 2005) – सेवा और निवेश में सहयोग।
आसियान: FTA (1 जनवरी 2010) – 10 दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापार।[]
श्रीलंका, भूटान, नेपाल, मलेशिया, थाईलैंड: विभिन्न व्यापार समझौते।
EFTA : TEPA (हस्ताक्षरित 10 मार्च 2024, लागू होने की उम्मीद 1 अक्टूबर 2025) – आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे, और स्विट्जरलैंड के साथ।[]
हालांकि इसमें अभी कई चुनौतियां भी है जैसे
कार्बन टैक्स : ब्रिटेन का कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) भारतीय धातु निर्यात को प्रभावित कर सकता है। भारत ने इसके लिए ‘रीबैलेंसिंग मैकेनिज्म’ प्रस्तावित किया है।
कानूनी प्रक्रिया : समझौते का अंतिम कानूनी पाठ तैयार किया जा रहा है, और ब्रिटेन में संसदीय अनुसमर्थन में 9-12 महीने लग सकते हैं। भारत में इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल चुकी है।
भारत-ब्रिटेन FTA दोनों देशों के लिए एक परिवर्तनकारी कदम है, जो व्यापार, निवेश, और नवाचार को बढ़ावा देगा। यह भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में मजबूत स्थिति प्रदान करेगा और ब्रिटेन के साथ रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।[]






