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झारखंड(Jharkhand) नगरपालिका संशोधन विधेयक 2022 विधानसभा से पारित

  Jharkhand  : झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2022 आज विधानसभा से पारित हो गया अब इस विधेयक के अनुसार चक्रानुक्रम को विलोपित कर दिया गया है यानी अब जो चुनाव होंगे उसमें जनगणना और जनसंख्या को तरजीह दी जाएगी रांची के विधानसभा में आज इस विधेयक को लाया गया हालांकि इस विधेयक को लेकर विपक्ष ने जोरदार विरोध किया और 5 विधायकों ने इसे प्रवर समिति में भेजने का अनुरोध किया उन्होंने कहा कि इसमें कई विसंगतियां हैं इसलिए इसे 30 दिनों के लिए प्रवर समिति में भेजा जाए बीजेपी के विधायक उम्र बावरी ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले एससी के हाथ में लड्डू धराया और फिर उस लड्डू को हाथ से छीन लिया लगभग 50 लाख SC हेमंत सोरेन से आस लगाए बैठे थे लेकिन इस विदेश के आने से उन्हें धोखा मिलेगा. जबकि विधायक विनोद सिंह ने कहा कि एक विधेयक में दो नीति नहीं हो सकती यह कोर्ट में खारिज हो जाएगा क्योंकि महापौर के लिए जनसंख्या का नियम और पार्षदों के लिए चक्र अनुक्रम का नियम दोनों एक विधेयक में कैसे होंगे यह मामला अगर कोर्ट जाता है तो वह खारिज हो जाएगा लेकिन काफी विरोध के बाद भी झारखण्ड नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित हो गया अब हम आपको बताते हैं कि आखिर सुविधा एक में पूरे तरीके से क्या क्या है
झारखण्ड नगरपालिका अधिनियम, 2011 में संशोधन हेतु विधेयक
भारत गणतंत्र के 73वें वर्ष में झारखण्ड राज्य विधानमंडल द्वारा निम्नलिखित रूप से यह अधिनियमित हो:-
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ
(1) (2) यह अधिनियम ‘झारखण्ड नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम, 2022’ कहलाएगा। इसका विस्तार सम्पूर्ण झारखण्ड राज्य में झारखण्ड नगरपालिका अधिनियम, 2011 की धारा
1 की उप धारा (2) में उल्लिखित प्रावधानों के अनुरूप होगा। यह अधिसूचना निर्गत किये जाने की तिथि से प्रभावी होगा। (3)
झारखण्ड नगरपालिका अधिनियम, 2011 की धारा 27 में निम्नलिखित संशोधन करते हैं-
(1) मूल अधिनियम की धारा 27 (2) (ख)- ‘मूल अधिनियम की धारा 27 (2) (ख) में अंकित शब्द समुह ‘ चक्रानुक्रम में ‘ को विलोपित ” किया जाता है।”
(2) मूल अधिनियम की धारा 27 (2) (ग)
” मूल अधिनियम की धारा 27 (2) (ग) में अंकित शब्द समुह ‘ चक्रानुक्रम में को विलोपित किया जाता है।”
मूल अधिनियम की धारा 27 (2) (च) के स्पष्टीकरण-
” मूल अधिनियम की धारा 27 (2) (च) के स्पष्टीकरण में अंकित शब्द समुहों अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जाति तथा ‘ को विलोपित किया जाता है।”
(3)
उद्देश्य एवं हेतु
झारखण्ड नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा 27 (2) में अनुसूचित जनजाति / अनुसूचित जाति / पिछड़े वर्गों के लिए चक्रानुक्रम सिद्धान्त संबंधी प्रावधान के आधार पर महापौर / अध्यक्ष पद का आरक्षण के पश्चात विभिन्न स्थानीय नगर निकायों में उन आरक्षित पदों के आवंटन में विसंगति उत्पन्न हो रही है।
भारतीय संविधान की धारा-243(1) (4) में महापौर / अध्यक्ष पद के लिए अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / महिलाओं के सीटों को आरक्षित किये जाने के लिए विधि बनाने हेतु राज्य विधान मंडल को शक्ति प्रदान की गई है।
अतएव उपर्युक्त वर्णित परिप्रेक्ष्य में महापौर / अध्यक्ष पद के लिए अनुसूचित जनजाति / अनुसूचित जाति / पिछड़े वर्गों हेतु आरक्षित पदों के आवंटन के निमित्त झारखण्ड नगरपालिका अधिनियम, 2011 की धारा 27 (2) में संशोधन किये जाने की आवश्यकता है।
तदनुसार उपरोक्त अधिनियम में आवश्यक संशोधन का प्रावधान किया गया है जिसे प्रख्यापित करना इस विधेयक का अभीष्ट है।
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