भारत में 2027 की जनगणना की अधिसूचना जारी, दो चरणों में होगी प्रक्रिया
केंद्र सरकार ने 16 जून 2025 को देश की 16वीं जनगणना और जातीय जनगणना के लिए आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है। यह जनगणना 2027 में दो चरणों में पूरी होगी, जिसमें पहली बार स्वतंत्र भारत में जातियों की गिनती भी शामिल होगी। यह प्रक्रिया डिजिटल तकनीक पर आधारित होगी, जिसमें मोबाइल ऐप्स और स्व-गणना का विकल्प उपलब्ध होगा।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!पहला चरण, मकान सूचीकरण और मकानों की गणना (Houselisting Operation, HLO), अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच होगा। इसमें प्रत्येक परिवार की आवासीय स्थिति, संपत्ति, और सुविधाओं की जानकारी एकत्र की जाएगी। दूसरा चरण, जनसंख्या गणना (Population Enumeration, PE), फरवरी 2027 में शुरू होकर 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि तक पूरा होगा। इस चरण में प्रत्येक व्यक्ति की जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, और सांस्कृतिक जानकारी दर्ज की जाएगी।
लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड के बर्फीले क्षेत्रों में जनगणना 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगी, जबकि शेष भारत में 1 मार्च 2027 को। यह भारत की आजादी के बाद 8वीं और कुल 16वीं जनगणना होगी।
1931 के बाद पहली बार जातिगत जनगणना नियमित जनगणना के साथ होगी। प्रश्नावली में जाति का एक नया कॉलम जोड़ा जाएगा, जो लंबे समय से विपक्षी दलों की मांग थी। यह कदम सामाजिक-आर्थिक नीतियों और आरक्षण व्यवस्था को और प्रभावी बनाने में मदद कर सकता है। इस बार जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी, जिसमें 34 लाख कर्मचारी और 1.3 लाख जनगणना पदाधिकारी मोबाइल ऐप्स का उपयोग करेंगे। यह ऐप 16 भाषाओं में उपलब्ध होगा। डेटा सुरक्षा के लिए कड़े उपाय किए जाएंगे। प्राथमिक डेटा मार्च 2027 में और विस्तृत डेटा दिसंबर 2027 तक जारी होने की उम्मीद है।
जातिगत जनगणना के आंकड़े भारतीय राजनीति और आरक्षण नीतियों को प्रभावित कर सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह डेटा सामाजिक न्याय और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को तैयारियों की समीक्षा की और कहा, “यह जनगणना देश के सामाजिक-आर्थिक ढांचे को समझने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा।”





