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सहारा समूह ने बिहार, झारखंड में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की, बेगूसराय-पटना में सस्ते दामों में बेची जमीनें!

सहारा समूह ने बिहार, झारखंड में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की, बेगूसराय-पटना में सस्ते दामों में बेची जमीनें!

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सहारा समूह ने सुप्रीम कोर्ट और सेबी के निर्देशों की खुलेआम अवहेलना करते हुए बिहार के बेगूसराय और पटना में करोड़ों रुपये की जमीनों को कम कीमत पर बेच दिया। सीआइडी की जांच में इस घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें पाया गया कि सहारा ने अपनी संपत्तियों को फर्जी कंपनियों और मध्यस्थों के जरिए बेचकर निवेशकों के पैसे सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा करने से बचने की कोशिश की। सीआइडी ने बिहार डीजीपी को प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश की है।

बेगूसराय में कम कीमत पर बिक्री
सीआइडी की रिपोर्ट के अनुसार, बेगूसराय में सहारा की 28.39 एकड़ जमीन का मूल्यांकन 2013 में वैल्यूअर श्याम अग्रवाल ने 41.17 करोड़ रुपये किया था। लेकिन 2022 में इस जमीन का एक हिस्सा, 2.41 एकड़, ‘चलाका डेवलपमेंट रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड’ और अन्य पांच कंपनियों को 2.15 करोड़ रुपये में बेच दिया गया। इसी तरह, 3.77 एकड़ जमीन 3.36 करोड़ रुपये में बेची गई, जो सरकारी सर्किल रेट से काफी कम थी। इस बिक्री से प्राप्त राशि सेबी के खाते में जमा नहीं की गई।

पटना में भी गड़बड़ी
पटना में सहारा की 65.20 एकड़ जमीन का मूल्यांकन 2013 में 44.80 करोड़ रुपये था। 2024 में इस जमीन का 1.58 एकड़ हिस्सा ‘करविंदा स्टेट एंड फाइनेंस’ और तीन अन्य कंपनियों के जरिए अशोक कुमार सिंह ने रणकौशल प्रताप सिंह को 2.52 करोड़ रुपये में बेचा, जबकि इसका सरकारी मूल्य 5.05 करोड़ रुपये था। यह राशि भी सेबी को नहीं दी गई।

बोकारो और धनबाद में भी सहारा की है जमीन

सेबी की मास्टर लिस्ट में बोकारो में भी सहारा समूह की जमीन होने का उल्लेख है. यहां 68.14 एकड़ जमीन का मूल्यांकन श्याम अग्रवाल ने वर्ष 2013 में 61.33 करोड़ रुपये किया था. यह जमीन चास अंचल अंतर्गत है. इस संबंध में चास सीओ और थाना प्रभारी से रिपोर्ट मांगी गयी है. इसी तरह धनबाद जिला के गोविंदपुर अंचल अंतर्गत रेगुनी मौजा में भी सहारा की जमीन होने की जानकारी मिली है. लेकिन सीआइडी को यह पता चला है कि सहारा की जमीन पर वर्तमान में असर्फी अस्पताल बना हुआ है. इसे लेकर भी गोविंदपुर सीओ और थाना प्रभारी बाघमारा से सीआइडी ने रिपोर्ट मांगी है. जांच के क्रम में सहारा के एक अधिकारी ने सीआइडी को बताया है कि सहारा मुख्यालय के निर्देश पर रांची और बोकारो जोन से कई राज्यों के जोन एरिया और कार्यालय को फंड भेजा जाता था. फंड को लेकर लेन-देन का आदेश तत्कालीन मंडल प्रमुख नीरज कुमार पाल और कार्यकारी निदेशक एसबी सिंह या उनके कार्यालय में कार्यरत कर्मी के द्वारा दिया जाता था.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में सहारा को 24,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि 15% ब्याज सहित सेबी को जमा करने का आदेश दिया था। 2024 में कोर्ट ने सहारा को कुछ संपत्तियां बेचने की अनुमति दी थी, बशर्ते यह सर्किल रेट पर हो और सेबी को सूचित किया जाए। हालांकि, सहारा ने इन शर्तों का पालन नहीं किया और बिक्री से प्राप्त धन को निजी कार्यों में खर्च किया।

सीआइडी की कार्रवाई और सिफारिश
सीआइडी ने सहारा के अधिकारियों, जैसे स्वप्ना राय, जयब्रतो राय, सुशांतो राय, और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के तहत मामला दर्ज करने की सिफारिश की है। जांच में पता चला कि सहारा ने 4799 फर्जी कंपनियों के जरिए निवेशकों को गुमराह किया और उनके पैसे का दुरुपयोग किया। सीआइडी ने बेगूसराय और पटना के अंचल अधिकारियों से सौदों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

निवेशकों में रोष
सहारा के लाखों निवेशक, जो वर्षों से अपनी जमा राशि की वापसी का इंतजार कर रहे हैं, इस खुलासे से गुस्से में हैं। निवेशक समूह ‘सहारा पीड़ित मंच’ ने कोर्ट से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई 2025 को निर्धारित की है, जिसमें सहारा को जवाब देना होगा।

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