श्रीशैलम टनल हादसा: दो महीने बाद भी फंसे मजदूरों का पता नहीं, गुमला के परिजनों को 25-25 लाख की सहायता
गुमला जिला प्रशासन ने झारखंड सरकार और तेलंगाना प्रशासन के समन्वय से 3 मई को चार मजदूरों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की। यह कदम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर उठाया गया,
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!जाहिर है की तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल हादसे को दो महीने से अधिक समय बीत चुका है, जो 22 फरवरी 2025 को हुआ था। इस हादसे में टनल का एक हिस्सा ढहने से 8 मजदूर फंस गए थे, जिनमें से 4 झारखंड के गुमला जिले के थे। इन मजदूरों की पहचान संतोष साहू, अनुज साहू, जगता खेस, और संदीप साहू के रूप में हुई है।
अब तक रेस्क्यू ऑपरेशन में कोई सफलता नहीं मिली है। NDRF, SDRF, भारतीय सेना, नौसेना, रैट माइनर्स, और अन्य विशेषज्ञों की टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं, लेकिन कीचड़, पानी, और मलबे के कारण अभियान में बाधा आ रही है। टनल के अंदर 300 मीटर तक फैला मलबा और अंधेरा रेस्क्यू को और जटिल बना रहा है। बचाव दल ने खोजी कुत्तों और वैकल्पिक मार्गों की तलाश जैसे उपाय भी आजमाए, लेकिन फंसे मजदूरों से कोई संपर्क नहीं हो सका।
शनिवार, 3 मई को, गुमला जिला प्रशासन ने झारखंड सरकार और तेलंगाना प्रशासन के समन्वय से चारों मजदूरों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की। यह कदम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर उठाया गया, जिन्होंने शुरू से ही इस मामले में तेलंगाना सरकार से समन्वय बनाए रखा।
हादसे में फंसे अन्य मजदूर उत्तर प्रदेश, पंजाब, और जम्मू-कश्मीर से थे। पंजाब के मजदूर गुरप्रीत सिंह की मृत्यु की पुष्टि हुई है, और उनके परिवार को तेलंगाना सरकार ने 25 लाख रुपये की सहायता का वादा किया है।
परिजनों का कहना है कि मजदूर उनके परिवारों के एकमात्र कमाने वाले थे, और अब उनके घरों में आर्थिक संकट गहरा गया है। गुमला के मजदूरों के परिवारों ने प्रशासन से मिली सहायता राशि को स्वीकार किया, लेकिन उनकी सुरक्षित वापसी की उम्मीद अब भी बाकी है।



