टाटानगर रेल सिविल डिफेंस: नदी-तालाब में डूबने की घटनाओं को रोकने के लिए लोको पायलटों को दिया गया प्रशिक्षण
जमशेदपुर: टाटानगर रेल सिविल डिफेंस ने इलेक्ट्रिक लोको पायलट ट्रेनिंग सेंटर में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया, जिसमें लोको पायलटों को नदी और तालाबों में डूबने की घटनाओं को रोकने और रेस्क्यू तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया। इस शिविर का उद्देश्य आपदा प्रबंधन में दक्षता बढ़ाना और डूबने से होने वाली मौतों की संख्या को कम करना था।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!सिविल डिफेंस इंस्पेक्टर संतोष कुमार ने बताया कि बरसात के मौसम में उफनती नदियों और तालाबों में डूबने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जो बेहद चिंताजनक है। विशेष रूप से बच्चे और युवा पानी की लहरों और रील्स बनाने के जुनून में डूबने का शिकार हो रहे हैं। इसका गहरा प्रभाव उनके परिवारों और समुदाय पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि जल निकायों के आसपास सुरक्षा के अपर्याप्त उपायों के कारण तत्काल रेस्क्यू संभव नहीं हो पाता, जिससे जान बचाना मुश्किल हो जाता है।
शिविर में सिविल डिफेंस के कुशल प्रशिक्षक कल्याण कुमार साहू ने डूबते व्यक्ति को बचाने की विभिन्न तकनीकों का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने रस्सी में गांठ बांधकर नदी में फेंकने, पीड़ित को आवाज देकर रेस्क्यू करने की प्रक्रिया का जीवंत प्रदर्शन किया। इसके साथ ही खाली बोतल से लाइफ जैकेट बनाने, ट्यूब में हवा भरकर, गैलन और ड्रम का उपयोग कर रेस्क्यू करने की विधियों को भी समझाया गया। साहू ने बताया कि 1 लीटर की खाली बोतल 7 किलो वजन उठा सकती है, और व्यक्ति अपने वजन के अनुसार बोतलें सीने से बांधकर गहरे पानी में भी सुरक्षित रह सकता है, जिससे 72 घंटे तक जीवित रहने की संभावना बनी रहती है।
डेमोंस्ट्रेटर शंकर प्रसाद ने सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) और फायर संयंत्र के उपयोग में सावधानियों का प्रशिक्षण दिया। डेमोंस्ट्रेटर अनिल कुमार सिंह ने एलपीजी गैस लीकेज से लगने वाली आग को बुझाने की तकनीकों का प्रदर्शन किया। इन मॉक ड्रिल्स के माध्यम से लोको पायलटों को आपात स्थिति में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करने के लिए तैयार किया गया।
प्रशिक्षण में दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर, रांची, आद्रा, खड़गपुर, संतरागाछी, हावड़ा और बण्डामुंडा मंडलों से बड़ी संख्या में लोको पायलट शामिल हुए। रेल प्रशासन ने इस प्रशिक्षण को लोको पायलटों के लिए अत्यंत उपयोगी बताया, क्योंकि यह न केवल तकनीकी दक्षता बढ़ाता है, बल्कि आपदा प्रबंधन और मानवीय संवेदनशीलता को भी प्रोत्साहित करता है।







