20250809 220724

तेज प्रताप यादव की बगावत: नया मोर्चा बनाकर महागठबंधन के लिए बढ़ाई मुश्किलें!, महुआ से निर्दलीय लड़ेंगे चुनाव

पटना: बिहार की सियासत में नया तूफान खड़ा हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव, जो पहले ही पार्टी और परिवार से निष्कासित हो चुके हैं, अब महागठबंधन के लिए नई चुनौती बनकर उभरे हैं। तेज प्रताप ने न केवल वैशाली जिले की महुआ विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, बल्कि पांच छोटे राजनीतिक संगठनों के साथ मिलकर एक नया मोर्चा भी गठित कर लिया है। इस कदम से RJD नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस के राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

‘टीम तेज प्रताप’ और नया गठबंधन

तेज प्रताप ने ‘टीम तेज प्रताप’ के बैनर तले विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP), भोजपुरिया जन मोर्चा, प्रगतिशील जनता पार्टी, वाजिब अधिकार पार्टी और संयुक्त किसान विकास पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा की है। मंगलवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेज प्रताप ने कहा, “हमारा गठबंधन सामाजिक न्याय, सामाजिक अधिकार और बिहार के संपूर्ण परिवर्तन के लिए काम करेगा। जनता हमें जनादेश देगी तो हम राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जयप्रकाश नारायण के सपनों को साकार करेंगे।”

महुआ से निर्दलीय दांव, RJD के लिए खतरा?

तेज प्रताप ने स्पष्ट किया कि वह 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में महुआ सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरेंगे। यह वही सीट है, जहां से वह 2015 में विधायक चुने गए थे, लेकिन 2020 में RJD ने उन्हें हसनपुर सीट से टिकट दिया था। तेज प्रताप ने दावा किया कि महुआ की जनता उन्हें फिर से अपना प्रतिनिधि बनाना चाहती है और उनकी ‘टीम तेज प्रताप’ सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंच रही है।

महागठबंधन पर असर, तेजस्वी की बढ़ी टेंशन

तेज प्रताप की बगावत से RJD और महागठबंधन को बड़ा नुकसान हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप का निर्दलीय चुनाव लड़ना और नया गठबंधन बनाना RJD के कोर वोट बैंक, खासकर यादव और मुस्लिम मतदाताओं, में सेंध लगा सकता है। 2020 के विधानसभा चुनाव में RJD और NDA के बीच वोट शेयर में केवल 0.23% का अंतर था। ऐसे में तेज प्रताप की मौजूदगी से वोटों का बंटवारा महागठबंधन के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

क्या है तेज प्रताप की रणनीति?

तेज प्रताप ने RJD और कांग्रेस को अपने गठबंधन में शामिल होने का खुला न्योता देकर सियासी हलचल और तेज कर दी है। हालांकि, उनका यह बयान छोटे भाई तेजस्वी यादव और पार्टी नेतृत्व के प्रति उनकी नाराजगी को दर्शाता है। तेज प्रताप ने पहले भी तेजस्वी के करीबी नेताओं को ‘जयचंद’ कहकर निशाना साधा था और पार्टी में साजिश का आरोप लगाया था।

पारिवारिक और सियासी कलह का असर

तेज प्रताप का निष्कासन मई 2025 में एक कथित वायरल वीडियो और निजी प्रेम प्रसंग के बाद हुआ था, जिसे उन्होंने बाद में ‘अकाउंट हैक’ होने का दावा कर खारिज किया था। इसके बावजूद, लालू प्रसाद यादव ने उन्हें पार्टी और परिवार से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर RJD के आधिकारिक हैंडल, अपनी बहन मीसा भारती और अन्य परिजनों को अनफॉलो कर अपनी नाराजगी जाहिर की है।

NDA को मिल सकता है फायदा?

तेज प्रताप की बगावत से विपक्षी गठबंधन NDA को फायदा होने की संभावना जताई जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तेज प्रताप कई सीटों पर उम्मीदवार उतारते हैं, तो RJD का वोट बैंक बंट सकता है, जिसका सीधा लाभ NDA को मिल सकता है। जेडीयू प्रवक्ता मनीष यादव ने इसे ‘लालू परिवार की नौटंकी’ करार देते हुए कहा कि तेज प्रताप का प्रभाव सीमित है।

तेज प्रताप की नई सियासी चाल बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि उनकी रणनीति या तो RJD पर दबाव बनाने की है या फिर वह नई पार्टी बनाकर लंबी सियासी पारी खेलने की तैयारी में हैं। हालांकि, उपेंद्र कुशवाहा जैसे अन्य नेताओं की असफल कोशिशों को देखते हुए तेज प्रताप की राह जोखिम भरी भी मानी जा रही है।

Share via
Send this to a friend