झारखंड के तोपचांची में सड़क न बनने से भड़का ग्रामीणों का गुस्सा: प्रखंड कार्यालय में तालाबंदी, पुलिस से हाथापाई, और अंत में सड़क निर्माण का आश्वासन
झारखंड के तोपचांची में सड़क न बनने से भड़का ग्रामीणों का गुस्सा: प्रखंड कार्यालय में तालाबंदी, पुलिस से हाथापाई, और अंत में सड़क निर्माण का आश्वासन
झारखंड के धनबाद जिले के तोपचांची प्रखंड में स्थित पिपरातांड गांव के ग्रामीणों का गुस्सा उस समय फूट पड़ा जब आजादी के 78 साल बीत जाने के बावजूद उनके गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली सड़क का निर्माण नहीं हुआ। इस लंबे समय से चली आ रही उपेक्षा से नाराज सैकड़ों ग्रामीणों ने शुक्रवार को तोपचांची प्रखंड कार्यालय पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया। गुस्साए ग्रामीणों ने प्रखंड कार्यालय के मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया, जिसके कारण प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) एजाज अहमद, अंचलाधिकारी, और अन्य कर्मचारी लगभग तीन घंटे तक कार्यालय के अंदर फंसे रहे। इस दौरान ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक मथुरा महतो, सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी, और निर्दलीय विधायक जयराम महतो के खिलाफ जमकर नारेबाजी की,
पुलिस से टकराव और हाथापाई
हंगामे की सूचना मिलते ही तोपचांची थाना प्रभारी डोमन रजक पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को शांत करने का प्रयास किया। लेकिन स्थिति तब और बिगड़ गई जब ग्रामीणों ने पुलिस की बात मानने से इनकार कर दिया। गुस्से में कुछ ग्रामीणों, खासकर महिलाओं ने, थाना प्रभारी डोमन रजक के साथ नोंकझोंक शुरू कर दी, जो देखते ही देखते हाथापाई में बदल गई। हालात को बेकाबू होता देख कुछ समझदार ग्रामीणों और बुद्धिजीवियों ने बीच-बचाव किया, जिसके बाद थाना प्रभारी को भीड़ से सुरक्षित निकाला गया और स्थिति को काबू में लाया गया। इसके बाद प्रखंड कार्यालय का ताला खोला गया।
मामला क्या है?
पिपरातांड गांव की मुख्य समस्या यह है कि यह आज तक मुख्य सड़क से नहीं जुड़ा है। इस वजह से गांव में बुनियादी सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, और बाजार तक पहुंच बेहद मुश्किल है। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क न होने से गांव विकास की मुख्यधारा से कट गया है। पिछले 40 दिनों से ये ग्रामीण अपनी मांग को लेकर प्रखंड कार्यालय के पास धरने पर बैठे थे और प्रशासन से सड़क निर्माण की गुहार लगा रहे थे। लेकिन उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जिसके चलते उनका धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने यह आक्रामक कदम उठाया।
ग्रामीणों का आरोप है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन उनकी समस्याओं को लगातार नजरअंदाज करते आए हैं।
वार्ता और समाधान
हंगामे और पुलिस से टकराव के बाद ग्रामीणों और प्रखंड विकास पदाधिकारी एजाज अहमद के बीच बातचीत का दौर शुरू हुआ। इस बैठक में ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा और मांग को स्पष्ट रूप से रखा। बीडीओ एजाज अहमद ने माना कि आजादी के 78 साल बाद भी गांव में सड़क का न होना बेहद खेदजनक है और प्रशासन की ओर से इस दिशा में चूक हुई है। उन्होंने ग्रामीणों के प्रति नैतिक समर्थन जताया और आश्वासन दिया कि अगले दो महीनों के भीतर सभी जरूरी सरकारी प्रक्रियाएं पूरी कर सड़क निर्माण का काम शुरू कर दिया जाएगा। इस आश्वासन के बाद ग्रामीण शांत हुए और धरना समाप्त कर अपने घरों को लौट गए।
जाहिर है की यह घटना ग्रामीण भारत में बुनियादी ढांचे की कमी और प्रशासनिक लापरवाही का एक जीता-जागता उदाहरण है।