चैती नवरात्रि: रजरप्पा मंदिर में पहले दिन मां शैलपुत्री की विशेष पूजा के साथ भक्तों का उत्साह चरम पर
चैती नवरात्रि: रजरप्पा मंदिर में पहले दिन मां शैलपुत्री की विशेष पूजा के साथ भक्तों का उत्साह चरम पर
अनुज कुमार रामगढ़
चैती नवरात्रि में मां छिन्नमस्तिका मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आस्था का केंद्र बन जाता है। यह मंदिर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक माना जाता है और झारखंड का एकमात्र सिद्ध पीठ होने के कारण इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है।
यह मंदिर झारखंड का एकमात्र सिद्ध पीठ माना जाता है, जहां मां छिन्नमस्तिका की पूजा होती है। आज, नवरात्रि के पहले दिन, मां के प्रथम रूप मां शैलपुत्री की विशेष पूजा की जा रही है। अगले नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की विधि-विधान से पूजा होगी, जिसमें हर दिन माता का श्रृंगार विभिन्न प्रकार के फूलों से किया जाएगा।
आइए चैती नवरात्र माँ छिन्नमस्तिका के पूजा को विस्तार से जानते है
चैती नवरात्रि के पहले दिन की विशेषता
30 मार्च 2025 को शुरू हुए चैती नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जा रही है। मां शैलपुत्री को हिमालय की पुत्री कहा जाता है और ये नवरात्रि के नौ दिनों में प्रथम देवी के रूप में पूजी जाती हैं। रजरप्पा मंदिर में आज सुबह से ही मां के इस रूप की विशेष पूजा-अर्चना शुरू हो गई है। मंदिर को फूलों से सजाया गया है और माता का श्रृंगार विभिन्न प्रकार के सुगंधित फूलों, जैसे गेंदा, गुलाब और चमेली से किया जा रहा है। पूजा विधि-विधान के साथ मंत्रोच्चारण और भक्ति भजनों से मंदिर परिसर का वातावरण भक्तिमय हो गया है।
श्रद्धालुओं की भीड़ और व्यवस्था
पहले दिन से ही रजरप्पा मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है। सुबह से ही भक्त लंबी कतारों में मां के दर्शन और पूजा के लिए इंतजार कर रहे हैं। यह मंदिर दामोदर और भैरवी नदियों के संगम पर स्थित है, जिसके कारण इसकी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व दोनों ही श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। चैती नवरात्रि के दौरान यहां आने वाले भक्तों की संख्या हजारों में होती है, जो मां छिन्नमस्तिका के दर्शन और आशीर्वाद के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं।
मंदिर न्यास समिति ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई इंतजाम किए हैं, जैसे:
- पेयजल और छाया की व्यवस्था: गर्मी को देखते हुए पानी के स्टॉल और बैठने की जगह बनाई गई है।
- दर्शन के लिए कतार प्रबंधन: भक्तों को व्यवस्थित तरीके से दर्शन कराने के लिए बैरिकेडिंग और कर्मचारियों की तैनाती।
- स्वच्छता और सुरक्षा: मंदिर परिसर को साफ-सुथरा रखने और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त स्टाफ।
साथ ही, रामगढ़ पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में पुलिसकर्मी तैनात हैं ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। भीड़ को नियंत्रित करने और यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए भी पुलिस सक्रिय है।
नौ दिनों का पूजा अनुक्रम
चैती नवरात्रि में रजरप्पा मंदिर में प्रत्येक दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है:
- दिन 1: मां शैलपुत्री (30 मार्च 2025)
- दिन 2: मां ब्रह्मचारिणी
- दिन 3: मां चंद्रघंटा
- दिन 4: मां कुष्मांडा
- दिन 5: मां स्कंदमाता
- दिन 6: मां कात्यायनी
- दिन 7: मां कालरात्रि
- दिन 8: मां महागौरी
- दिन 9: मां सिद्धिदात्री
हर दिन माता की मूर्ति को विशेष वस्त्रों और आभूषणों से सजाया जाता है, और पूजा में भोग के रूप में अलग-अलग प्रसाद अर्पित किए जाते हैं। नौवें दिन हवन और कन्या पूजन के साथ नवरात्रि का समापन होता है।
मंदिर का महत्व
रजरप्पा मंदिर में मां छिन्नमस्तिका की मूर्ति अपने अनूठे रूप के लिए प्रसिद्ध है, जहां माता को अपने कटे हुए सिर के साथ दर्शाया गया है। यह मंदिर तंत्र साधना और शक्ति उपासना का भी प्रमुख केंद्र है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती है, जिसके कारण चैती नवरात्रि में भक्तों की संख्या और भी बढ़ जाती है।