जमशेदपुर की बेटी स्नेहा दुबे का, पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को यूएन में दिया जवाब।
शनिवार को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के संबोधन के बाद भारत की ओर से राइट टू रिप्लाई के तहत दिया गया करारा जवाब पूरे देश में सुर्खियां बटोर रहा है. दरअसल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने भाषण में भारत पर निशाना साधा था. जिसके बाद भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र में देश की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने राइट टू रिप्लाई के तहत इसका जवाब दिया. 2012 बैच की आईएफएस अधिकारी स्नेहा दुबे ने अपने जवाब में पाकिस्तान के पीएम को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि भारत के अंदरूनी मामलों को उन्होंने दुनिया के मंच पर लाने और झूठ फैलाकर भारत की छवि को धूमिल करने की कोशिश की है. स्नेहा दुबे ने आगे कहा कि पाकिस्तान वही देश है जहां आतंकवादी स्वतंत्र हैं. अपने पड़ोसियों को परेशान करने के लिए पीछे से वह आतंकवाद को प्रायोजित करता है. वह अपने यहां आतंकवादियों को इस उम्मीद में स्वच्छंदता देता है कि वे केवल अपने पड़ोसियों को नुकसान पहुंचाएंगे. हमारे क्षेत्र और पूरी दुनिया को इनकी इन्हीं नीतियों कें कारण नुकसान उठाना पड़ा है. पाकिस्तान दरअसल आग लगाने वाला है, लेकिन वह खुद को अग्निशामक के रूप में देखता है.लेकिन आपको यह जानकर और ख़ुशी होगी कि पूरे देश में भारत का परचम लहराने वाली स्नेहा दुबे का बचपन जमशेदपुर में बीता है. स्नेहा दुबे का जन्म जमशेदपुर शहर में ही हुआ है.
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उनके पिता जेपी दुबे शहर के केबुल कंपनी में इंजीनयर के पद पर कार्यरत थे. उनका परिवार केबुल टाउन में ही रहता था. परन्तु 2000 में कंपनी के अचानक से बन्द हो जाने के बाद स्नेहा दुबे का पूरा परिवार गोवा चला गया. वहां उनके पिता को फिनोलेक्स केबुल कंपनी में जॉब मिल गई. जिसके बाद स्नेहा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वहीं से की. उनकी मां स्कूल में शिक्षिका हैं.स्नेहा की शुरुआती शिक्षा गोवा में हुई. इसके बाद उन्होंने पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज से स्नातक किया. इसके बाद स्नेहा ने जेएनयू से एमए और एमफिल किया. वह 12 साल की उम्र से भारतीय विदेश सेवा में शामिल होना चाहती थीं और साल 2011 में अपने पहले प्रयास में ही उन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा पास की. वे 2012 बैच की महिला आईएफएस अधिकारी हैं. आईएफएस बनने के बाद उनकी नियुक्ति विदेश मंत्रालय में हुई. इसके बाद साल 2014 में भारतीय दूतावास मैड्रिड में उनकी नियुक्ति हुई. कुछ साल बाद उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की प्रथम सचिव के रूप में नियुक्त किया गया. स्नेहा दुबे को पहले से ही अंतरराष्ट्रीय मामलों में बहुत रुचि थी जिसके चलते उन्होंने भारतीय विदेश सेवा में जाने का फैसला लिया. विदेश सेवा के लिए चुने जाने के बाद स्नेहा दुबे की पहली नियुक्ति विदेश मंत्रालय में हुई थी. फिर अगस्त 2014 में उन्हें मैड्रिड स्थित भारतीय दूतावास भेज दिया गया.स्नेहा दुबे के इस भाषण को सोशल मीडिया पर खूब तारीफें मिल रही हैं. इस भाषण को ट्वीटर पर पोस्ट किए जाने के कुछ ही मिनट बाद यह ट्रेंड करने लगा. भारतीयों ने यूएन में पाकिस्तान के पीएम को दिए गए करारे जवाब की सराहना की. इतनी कम उम्र में जिस तरह से उन्होंने इतने बड़े मंच पर अपनी जिम्मेदारी को निभाया वह काबिलेतारीफ है।
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