जानिए इस गांव के लोग चप्पल हाँथ में लेकर क्यों चलते है
चतरा से संजय की रिपोर्ट
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!झारखंड बनने के इक्कीस वर्ष के बाद भी अनुसूचित जाति के लोगो से भरे चतरा के तेतर टांड़ में अभी तक मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। हद तो यह है कि गांव के लोग खराब सड़कों के कारण हाथों में चप्पल लेकर गांव से बाहर निकलते हैं ।दरअसल गांव से बाहर निकलने के लिए बनी सड़क पूरी तरह कीचड़ से भरा हुआ है ।राज्य के विकास के दावों की यही हकीकत है। जबकि इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधायक बने सत्यानंद भोक्ता राज्य के कैबिनेट मंत्री बने हैं। इस टोला में न तो बिजली है,न ही स्वास्थ्य सुविधाएं, न तो स्कूल, न ही सड़क और न ही पेयजल की व्यवस्था।
हद तो यह है कि गांव में बिजली का तार तो नहीं पहुंचा है लेकिन बिजली विभाग ने गांव में मीटर एवं बिजली का बोर्ड लगा दिया है।आश्चर्य की बात यह है कि इसकी जानकारी जांगी पंचायत के मुखिया को भी है।मुखिया कहना है कि मुखिया के फंड से जो हो सकता है, किया जा रहा है। लेकिन अन्य सुविधाओं के लिए राज्य सरकार के अलावे विधायक एवं सांसद ही व्यवस्था कर सकते हैं।
गांव के लोगों का कहना है कि इस इस पूरे क्षेत्र में एक ही चापाकल है जिसका पानी भी काफी खराब है। लोगों को तकरीबन दो किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है ।इसके अलावा इस गांव में ना तो आंगनवाड़ी केंद्र हैं ,न ही स्कूल और न ही स्वास्थ्य सुविधाओं का की व्यवस्था और ना ही बिजली की सुविधा।
चतरा जिला के इस गांव की तस्वीरों देखकर आज भी आदिम युगीन समय की यादों के ताजा कर देती है।अब जिम्मेवारी है सरकारी रहनुमाओं को इस गांव की हालत बदलने की।





