कोडरमा के भितिया गांव में नेटवर्क की कमी, डिजिटल इंडिया से दुरी, गांव में डिजिटल इंडिया का अधूरा सपना
कोडरमा के भितिया गांव में नेटवर्क की कमी, डिजिटल इंडिया से दुरी, गांव में डिजिटल इंडिया का अधूरा सपना
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डिजिटल इंडिया की चमक-दमक के बीच कोडरमा का एक गांव ऐसा भी है, जहां मोबाइल नेटवर्क पकड़ना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं। चंदवारा प्रखंड के बेंदी पंचायत का भितिया गांव आज भी संचार क्रांति से कोसों दूर है।

पेड़ की टहनियों पर लटके मोबाइल, छत पर रखे फोन – यह कोई सजावट नहीं, बल्कि भितिया गांव की मजबूरी है। यहां नेटवर्क पकड़ने के लिए ग्रामीणों को अनोखे जुगाड़ अपनाने पड़ते हैं। एक कॉल करने के लिए जंगल-पहाड़ की सैर या ऊंचे स्थान की तलाश करनी पड़ती है। जब देश डिजिटल पेमेंट और सोशल मीडिया की दुनिया में डूबा है, भितिया के लोग इन सुविधाओं से सिर्फ सुनने तक सीमित हैं। नेटवर्क की कमी ने उन्हें आधुनिक युग से अलग-थलग कर रखा है।

नेटवर्क की अनुपस्थिति सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि जिंदगी से जुड़ा संकट है। बीमारी में एंबुलेंस नहीं बुला सकते, कोई हादसा हो तो पुलिस तक खबर नहीं पहुंचती। परिजनों की तकलीफ की खबर भी देर से मिलती है। गांव में एक मोबाइल टावर तो लगा, लेकिन पिछले एक साल से यह बस मूक दर्शक बना हुआ है।
चंदवारा प्रखंड मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बसे भितिया गांव की यह समस्या प्रशासन के लिए भी सिरदर्द है।

प्रखंड विकास पदाधिकारी सुमित कुमार मिश्रा मानते हैं कि नेटवर्क की कमी ग्रामीणों के साथ-साथ प्रशासनिक कामकाज को भी प्रभावित करती है। उन्होंने जल्द समाधान का भरोसा दिलाया है।

मोबाइल आज सिर्फ एक गैजेट नहीं, बल्कि जिंदगी का अहम हिस्सा है। सूचनाओं के आदान-प्रदान से लेकर देश-दुनिया की खबरों तक, मोबाइल हर किसी की जरूरत है। ऐसे में भितिया गांव जैसे क्षेत्रों में नेटवर्क की कमी डिजिटल इंडिया के सपने को चुनौती देती है। यह स्थिति न केवल ग्रामीणों की दिनचर्या को प्रभावित करती है, बल्कि प्रशासन के लिए भी गंभीर मुद्दा है, जिसका त्वरित समाधान जरूरी है।






