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मुख्यमंत्री नीतीश सरकार का मास्टर स्ट्रोक: हर परिवार को 100 यूनिट मुफ्त बिजली

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता को लुभाने के लिए एक बड़ा दांव खेला है। राज्य सरकार ने हर परिवार को प्रति माह 100 यूनिट मुफ्त बिजली देने की योजना को मंजूरी दे दी है। इस महत्वाकांक्षी योजना को ऊर्जा विभाग ने तैयार किया है, जिसे वित्त विभाग ने हरी झंडी दे दी है। अब इसे कैबिनेट की अंतिम मंजूरी का इंतजार है।

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इस योजना के तहत बिहार के लगभग 2.08 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिलेगा। खासकर निम्न और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए यह योजना आर्थिक बोझ को कम करने में मददगार साबित होगी। शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को प्रति माह लगभग 750 रुपये की बचत होगी, क्योंकि वहां बिजली की दर 7.57 रुपये प्रति यूनिट है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर ज्योति योजना के तहत बिजली दर 1.97 रुपये प्रति यूनिट और अन्य घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 2.52 रुपये प्रति यूनिट तक हो सकती है।

सूत्रों के मुताबिक, सरकार कृषि क्षेत्र के लिए बिजली पर अतिरिक्त रियायत देने की योजना पर भी विचार कर रही है। यह कदम किसानों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराकर कृषि उत्पादन को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, स्मार्ट प्रीपेड मीटर वाले उपभोक्ताओं को 25 पैसे प्रति यूनिट की अतिरिक्त छूट भी जारी रहेगी।

इस योजना को नीतीश सरकार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है, क्योंकि यह न केवल मतदाताओं को आकर्षित करने का एक प्रयास है, बल्कि आम लोगों की जेब पर पड़ने वाले बिजली बिल के बोझ को भी कम करेगा। हालांकि, विपक्षी दलों ने इसे चुनावी स्टंट करार दिया है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने पहले 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया था, जिसके जवाब में नीतीश सरकार का यह कदम देखा जा रहा है।

बिहार में पहले से ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना के तहत 60 लाख उपभोक्ताओं के घरों में मीटर लगाए जा चुके हैं। इन उपभोक्ताओं को 25 पैसे प्रति यूनिट की छूट मिल रही है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री विद्युत उपभोक्ता सहायता योजना के तहत 2025-26 के लिए 15,995 करोड़ रुपये की सब्सिडी भी मंजूर की गई है, जो ग्रामीण उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 40 पैसे की अतिरिक्त राहत देगी।

नीतीश कुमार की इस घोषणा ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम नीतीश सरकार के लिए चुनावी जीत का रास्ता आसान कर सकता है। दूसरी ओर, विपक्ष इस योजना को लागू करने में पारदर्शिता और समयबद्धता पर सवाल उठा रहा है।

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