वित्त आयोग की टीम 28 मई से 31 तक झारखंड दौरे पर , आइये जानते है क्या है वित्त आयोग और इनका काम
16 वें वित्त आयोग की टीम 28 मई से 31 तक झारखंड दौरे पर है। आज मुख्यमंत्री ने भी उनके दौरे को लेकर अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की है। आइए जानते हैं क्या है वित्त आयोग ?
वित्त आयोग (Finance Commission) और 16 वां वित्त आयोग ……एक नजर में
वित्त आयोग भारत का एक संवैधानिक निकाय है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत स्थापित किया जाता है। इसका गठन प्रत्येक पांच वर्ष में या आवश्यकतानुसार राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। वित्त आयोग का प्रमुख कार्य केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण को सुनिश्चित करना है ताकि देश में आर्थिक संतुलन और समन्वय बनाए रखा जा सके। यह संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वित्त आयोग के मुख्य काम–
1)कर राजस्व का वितरण–
केंद्र द्वारा एकत्रित करों (जैसे आयकर, जीएसटी आदि) का एक हिस्सा राज्यों को हस्तांतरित करने की सिफारिश करना।
यह तय करना कि केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व का बंटवारा (Vertical Devolution) और राज्यों के बीच इसका वितरण (Horizontal; -Devolution) कैसे होगा।
2)राज्यों को अनुदान-
राज्यों की वित्तीय आवश्यकताओं के आधार पर केंद्र से अनुदान (Grants-in-Aid) देने की सिफारिश करना।
3)स्थानीय निकायों को अनुदान-
पंचायतों और नगर पालिकाओं जैसे स्थानीय निकायों को वित्तीय सहायता के लिए सुझाव देना।
4)वित्तीय प्रबंधन–
केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों को बेहतर बनाने और राज्यों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए सुझाव देना।
गठन और कार्यकाल-
वित्त आयोग में एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य होते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति नियुक्त करते हैं।
आयोग का कार्यकाल आमतौर पर पांच वर्ष का होता है, लेकिन यह आवश्यकता के अनुसार कम या अधिक हो सकता है।
आयोग अपनी सिफारिशें एक रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत करता है, जिसे संसद में रखा जाता है और केंद्र सरकार द्वारा लागू किया जाता है।
16वां वित्त आयोग-
16वां वित्त आयोग भारत का नवीनतम वित्त आयोग है, जिसका गठन 27 नवंबर, 2023 को किया गया था। इसका कार्यकाल 1 अप्रैल, 2026 से 31 मार्च, 2031 तक के लिए सिफारिशें प्रदान करना है। इस आयोग का गठन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आदेश पर किया गया और इसके अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया (प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष) हैं।
16वें वित्त आयोग के सदस्य–
अध्यक्ष: डॉ. अरविंद पनगढ़िया
सदस्य:
अजय नारायण झा (पूर्व व्यय सचिव)
एनी जॉर्ज मैथ्यू (अतिरिक्त सचिव, व्यय विभाग)
नितिनीता मिश्रा (आर्थिक सलाहकार)
सचिव-सौम्या कांति घोष (मुख्य आर्थिक सलाहकार, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया)
16वें वित्त आयोग के कार्यक्षेत्र– (Terms of Reference):
16वें वित्त आयोग को निम्नलिखित प्रमुख जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं
करों का बंटवारा-
केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व के बंटवारे की सिफारिश करना।
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राज्यों के बीच कर हिस्सेदारी के लिए मापदंड (जैसे जनसंख्या, क्षेत्रफल, -आय दूरी, वन आवरण, कर प्रयास आदि) तय करना
राजस्व अनुदान-
राज्यों को उनकी राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए अनुदान की सिफारिश करना।
विशेष रूप से वित्तीय रूप से कमजोर राज्यों पर ध्यान देना।
स्थानीय निकायों के लिए अनुदान-
पंचायती राज संस्थानों और नगरपालिकाओं के लिए वित्तीय सहायता की सिफारिश करना।
आपदा प्रबंधन-
राष्ट्रीय और राज्य आपदा राहत कोष (NDRF और SDRF) के लिए वित्तीय व्यवस्था की समीक्षा करना और सुझाव देना।
वित्तीय स्थिरता-
केंद्र और राज्यों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए उपाय सुझाना, जैसे राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना और सार्वजनिक वित्त प्रबंधन में सुधार करना।
16वें वित्त आयोग की चुनौतियां:
नई चुनौतियां:
जीएसटी और कर संरचना: जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों की कर स्वायत्तता कम हुई है, जिसके कारण केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों में बदलाव की आवश्यकता है।
आर्थिक असमानता: विभिन्न राज्यों की आर्थिक स्थिति में भारी अंतर को ध्यान में रखते हुए निष्पक्ष वितरण सुनिश्चित करना।
जलवायु परिवर्तन और सतत विकास: पर्यावरणीय स्थिरता और हरित विकास के लिए वित्तीय संसाधनों का आवंटन।
डिजिटल अर्थव्यवस्था: डिजिटल अर्थव्यवस्था और उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए वित्तीय प्रावधानों पर विचार।
नया क्या
16वां वित्त आयोग राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे के विकास पर अधिक ध्यान दे सकता है।
डेटा-संचालित नीति निर्माण और पारदर्शिता को बढ़ावा देना।
16वें वित्त आयोग की प्रगति (मई 2025 तक):
16वां वित्त आयोग अपनी प्रारंभिक बैठकों और परामर्शों में व्यस्त है। यह विभिन्न हितधारकों, जैसे राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों, और विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श कर रहा है।
आयोग ने अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने के लिए समय-समय पर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों से सुझाव मांगे हैं।
इसकी अंतिम रिपोर्ट 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में प्रस्तुत होने की उम्मीद है।
पिछले वित्त आयोगों से तुलना—
15वां वित्त आयोग (अध्यक्ष: एन.के. सिंह, 2020-2026):
इसने केंद्र से राज्यों को 41% कर राजस्व हस्तांतरण की सिफारिश की थी।
राज्यों के बीच वितरण के लिए जनसंख्या (15%), क्षेत्रफल (15%), और आय दूरी (45%) जैसे मापदंडों का उपयोग किया
आपदा प्रबंधन और स्थानीय निकायों के लिए विशेष अनुदान पर जोर दिया
16वां वित्त आयोग
15वें आयोग की तुलना में अधिक जटिल आर्थिक परिदृश्य का सामना कर रहा है, जैसे जीएसटी के प्रभाव, जलवायु परिवर्तन, और डिजिटल अर्थव्यवस्था।
राज्यों की बढ़ती मांगों और केंद्र की राजकोषीय सीमाओं के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है।
कहा जाय तो वित्त आयोग भारत के संघीय ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के निष्पक्ष और संतुलित वितरण को सुनिश्चित करता है। 16वां वित्त आयोग मौजूदा आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अपनी सिफारिशें तैयार कर रहा है, जो भारत के आर्थिक विकास और क्षेत्रीय समानता के लिए महत्वपूर्ण होंगी। इसकी सिफारिशें न केवल वित्तीय नीतियों को प्रभावित करेंगी, बल्कि भारत के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को भी दिशा देंगी..