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बाबूलाल मरांडी का कांग्रेस पर तीखा हमला: ‘संविधान बचाओ रैली’ को बताया नौटंकी

 बाबूलाल मरांडी का कांग्रेस पर तीखा हमला: ‘संविधान बचाओ रैली’ को बताया नौटंकी, 
संशोधनों पर उठाए सवाल
रांची, 4 मई : झारखंड भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित ‘संविधान बचाओ रैली’ को एक ‘राजनीतिक नौटंकी’ करार देते हुए तीखा हमला बोला। रांची में भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मरांडी ने कांग्रेस पर संविधान की मर्यादा को ठेस पहुंचाने, लोकतंत्र को कमजोर करने और तुष्टीकरण की राजनीति के लिए संविधान का दुरुपयोग करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कांग्रेस से भगवान बिरसा मुंडा की धरती से माफी मांगने की मांग की।
कांग्रेस ने संविधान को बनाया तुष्टीकरण का हथियार
मरांडी ने कहा कि कांग्रेस ने अपने 60 वर्षों के शासनकाल में 79 बार संविधान में संशोधन किए, जो ज्यादातर सत्ता को बनाए रखने और अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के लिए थे। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने संविधान की मूल भावना को नष्ट कर इसे तुष्टीकरण का घोषणापत्र बना दिया। मरांडी ने कहा, “कांग्रेस ने संविधान और लोकतंत्र पर जितने प्रहार किए, वे भारतीय इतिहास में काले पन्नों के रूप में दर्ज हैं।”
नेहरू और पहला संशोधन
मरांडी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में 1951 में किए गए पहले संविधान संशोधन की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस संशोधन ने अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया और प्रेस की आजादी को सीमित किया। मरांडी ने तंज कसते हुए कहा, “संविधान लागू होने के कुछ ही समय बाद नेहरू ने इसे बदल दिया, इससे साफ है कि वे संविधान का कितना सम्मान करते थे।”
अनुच्छेद 35A पर सवाल
मरांडी ने अनुच्छेद 35A को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि इसे संसद याmechanism में बिना संसदीय प्रक्रिया के राष्ट्रपति के आदेश से लागू किया गया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने देश और संविधान को अपनी जागीर समझा।”
आपातकाल और 42वां संशोधन
मरांडी ने इंदिरा गांधी के शासनकाल में 1975-77 के आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि इस दौरान मौलिक अधिकार, प्रेस की स्वतंत्रता और न्यायपालिका की स्वायत्तता पर हमला किया गया। 42वां संशोधन, जिसे ‘मिनी संविधान’ कहा जाता है, को उन्होंने न्यायपालिका और मूल अधिकारों को कमजोर करने की साजिश करार दिया। मरांडी ने कहा कि इस संशोधन के जरिए प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘राष्ट्रीय अखंडता’ जैसे शब्द जोड़े गए, जो बिना व्यापक सहमति के मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किए गए।
न्यायपालिका पर दबाव
मरांडी ने 1973 में इंदिरा गांधी द्वारा तीन वरिष्ठतम न्यायाधीशों को दरकिनार कर जस्टिस A.N. Ray को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की घटना का जिक्र किया। उन्होंने इसे केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट के ‘मूल ढांचा सिद्धांत’ के खिलाफ न्यायपालिका पर दबाव बनाने की कोशिश बताया।
शाहबानो और तुष्टीकरण
मरांडी ने 1986 के शाहबानो मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के फैसले को राजीव गांधी सरकार ने एक विशेष कानून बनाकर पलट दिया। उन्होंने इसे अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन और मुस्लिम तुष्टीकरण की चरम मिसाल बताया।
राहुल गांधी और संसदीय मर्यादा
मरांडी ने राहुल गांधी द्वारा 2011 में कैबिनेट के दस्तावेज फाड़ने की घटना को संसदीय प्रणाली का अपमान बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और कोर्ट जैसी संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन करवाए और उनकी अवमानना की।
शरिया बनाम संविधान
मरांडी ने कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेताओं पर शरिया को संविधान से ऊपर बताने का आरोप लगाया। उन्होंने वक्फ कानून के खिलाफ हिंसक विरोध और कांग्रेस के समर्थन को इसका उदाहरण बताया। मरांडी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से सवाल किया, “शरिया बड़ा है या संविधान?”
मुस्लिम आरक्षण की साजिश
मरांडी ने सच्चर समिति और रंगनाथ मिश्रा समिति की सिफारिशों को संविधान प्रदत्त आरक्षण प्रणाली को कमजोर करने की कोशिश बताया। उन्होंने कहा कि UPA सरकार ने इनके आधार पर मुस्लिम समुदाय को SC/ST कोटे में शामिल करने की सिफारिश की, जिसे हाल ही में कर्नाटक में लागू करने की कोशिश की गई।
मरांडी की मांग
मरांडी ने कांग्रेस से अपने इन कृत्यों के लिए जनता से माफी मांगने की मांग की। उन्होंने कहा कि झारखंड की धरती, जो भगवान बिरसा मुंडा की कर्मभूमि है, से कांग्रेस को कान पकड़कर माफी मांगनी चाहिए।

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