बाबूलाल मरांडी का सीएम हेमंत पर तीखा प्रहार: काले कारनामों के सहयोगी रणजीत राणा को ‘सराहनीय सेवा’ का पुरस्कार क्यों?
रांची : झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कटघरे में खड़ा करते हुए सवालों की बौछार कर दी है। श्री मरांडी ने राज्य सरकार द्वारा JAP-2 के आरक्षी रणजीत राणा को ‘सराहनीय सेवा’ के लिए पुलिस पदक देने की कथित योजना पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे ‘काले कारनामों’ को सम्मान देने का प्रयास बताते हुए सीएम से स्पष्टीकरण मांगा है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!बाबूलाल मरांडी ने कहा, “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा राज्य में पुरस्कार देना उनका विशेषाधिकार है। वे जिसे चाहें, जब चाहें, किसी भी पुरस्कार से सम्मानित कर सकते हैं। राजा हैं, चाहें तो चोर, उच्चके, डकैत किसी को भी सम्मानित कर सकते हैं। वैसे भी, उनके कार्यकाल में तो डीजीपी का पद भी मानो ‘पुरस्कार’ बन गया है—जैसे मन में आया, जिसे मन आया, उसे दे दिया और जब मन बदला, वापस ले लिया। उनके रसूख के सामने कायदे-कानून की क्या औकात है?”
उन्होंने आगे कहा कि जानकारी मिल रही है कि सम्मानित होने वालों की सूची में 27 नंबर पर JAP-2 के आरक्षी रणजीत राणा का नाम शामिल किया गया है। श्री मरांडी ने रणजीत राणा को वर्ष 2015 से पूर्व आईएएस अनुराग गुप्ता के कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में कार्यरत बताते हुए आरोप लगाया कि वे किसी भी नक्सल अभियान में शामिल नहीं हुए। बल्कि, वे अनुराग गुप्ता के ‘काले कारनामों’ के मददगार, राजदार और हिस्सेदार रहे हैं।
“पुलिस महकमे से लेकर कोयला चोरी के अलावा हर गलत और काले काम करने वाला आदमी इसके चाल-चरित्र और धमकी से वाकिफ है,” बाबूलाल मरांडी ने कहा। उन्होंने सवाल उठाया, “जब इसने कोई सराहनीय कार्य किया ही नहीं, तो इन्हें किस ‘सराहनीय कार्य’ के लिए पुलिस पदक से नवाजे जाने के लिए चुना जा रहा है? क्या अब किसी वरिष्ठ अधिकारी के काले कारनामों में सहयोग देना और उनके गलत एवं गैरकानूनी लूटपाट के कामों में हिस्सेदार बनना भी झारखंड सरकार में ‘सराहनीय सेवा’ की श्रेणी में आ गया है?”
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यदि यह निर्णय किसी की साजिश से मुख्यमंत्री की आंखों में धूल झोंककर लिया जा रहा है, तो इसे उनके संज्ञान में लाना जरूरी है। उन्होंने अंत में कहा, “बाकी मुख्यमंत्री की मर्जी। लेकिन जनता को सच्चाई जानने का हक है।”





