भाजपा आखिर पूर्व की गलतियों से कोई सिख क्यों नहीं लेता ?
झारखंड में विधान सभा चुनाव की बिगुल बज चुकी है…तमाम दल और गठबंधन सीट शेयरिंग और प्रत्याशियों की सूची को अमली जामा पहनाने में रात दिन लगे हुए हैं…..सभी के एजेंडे में एकमात्र ऐसे प्रत्याशियों का चयन है जो जिताऊ हो। न तो कोई नीति..और न ही कोई बिचारधारा…। ऐसे में पार्टी से बाहर के किसी पर भी दांव लगाये जाने की भी तैयारी देखने को मिल रही है।
पिछले दो दिनों से हटिया सीट को लेकर भी कयासें चल रही है।कहा जा रहा है कि अजय शाहदेव BJP से प्रत्यासी होंगे। ये फिलहाल कांग्रेस में हैं । ।हालांकि जब Drishti Now ने अजय शाहदेव से बात की तो उन्होंने सीधे तौर पर इससे इनकार किया। उनका कहना है कि वे कांग्रेस में हैं और इस बार उनकी जीत पक्की है।
हम आपको यह भी बताते चलें की टिकट को लेकर उन्होंने 2014 में भी BJP का दामन थामा था । एक बार फिर उनके नाम की चर्चा जोरों पर है, लेकिन कहते हैं ना कि दूध का जल अच्छा आदमी फूक फूक कर पीता है जाहिर सी बात है अजय इस बार काफी फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं। लेकिन कहानी यह नहीं है कहानी यह है कि आखिर बीजेपी को बाहर से प्रत्याशी जुगाड़ करने की जरूरत क्यों पड़ती है क्या हटिया में बीजेपी का प्रत्याशी चुनाव नहीं जितवा सकता है ? क्या नवीन जयसवाल पर भाजपा अपना भरोसा नहीं जाता सकती अगर नवीन जायसवाल नहीं तो कई और प्रत्याशी है जो की कतार में है जिन्होंने लगातार पार्टी में रहकर पार्टी की सेवा की है
अब बात यहां सिर्फ अजय या फिर किसी और अन्य प्रत्याशी की नही…बल्कि बात यह है कि आखिर BJP को किसी अजय की जरूरत ही क्या है? क्या नवीन या कोई अन्य कार्यकर्ता वहां नहीं है? नवीन के साथ यदि Anti Incumbency की बात है तो क्या पार्टी में कोई दूसरा कार्यकर्ता नहीं है? स्पष्ट है पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं ही विस्वास नहीं है।जबकि कई ऐसे कार्यकर्ता हैं जो पार्टी को जीत दिला सकते हैं। सवाल यह है कि आखिर किसके गलत सलाह पर BJP को यह सब दिखाई नहीं देता?
क्या BJP ने लोकसभा चुनाव से कोई सिख नहीं ली?
2024 का लोकसभा चुनाव में भी कुछ इसी तरह की गलतियां BJP ने की थी।Sitting MP सुनील सोरेन की जगह आनन फानन में सीता सोरेन को दुमका से प्रत्याशी बनाना भारी पड़ा।कुछ इसी तरह की बातें चाईबासा लोकसभा में भी देखने को मिली। कांग्रेस से लाई गई गीता कोड़ा भारी मतों से परास्त हुईं। स्थिति यह हो गयी कि पार्टी आदिवासियों के लिए सुरक्षित एक भी सीट पर खाता तक नहीं खोल पायी।
उम्मीद है इस अहम चुनाव में पार्टी शायद यह गलती न करे