झारखंड में नई शिक्षा नीति लागू न होने पर बीजेपी का राज्य सरकार पर निशाना, केंद्र और राज्यपाल को जिम्मेदार ठहराने का लगाया आरोप
जमशेदपुर: नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लेकर झारखंड में सियासी घमासान तेज हो गया है। जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने नई शिक्षा नीति लागू न होने के लिए केंद्र सरकार और राज्यपाल को जिम्मेदार ठहराया था, वहीं अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस मुद्दे पर पलटवार करते हुए झारखंड सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी ने स्पष्ट कहा कि देश के अन्य राज्यों में नई शिक्षा नीति लागू हो चुकी है, लेकिन झारखंड सरकार की नाकामी के कारण यह नीति राज्य में लागू नहीं हो पा रही है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!गोस्वामी ने कहा कि नई शिक्षा नीति को लागू करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है, और राज्यपाल, जो सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं, इस प्रक्रिया में सहयोग करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड सरकार अपने डिग्री कॉलेजों और स्कूलों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में विफल रही है और इसके लिए केंद्र सरकार और राज्यपाल को जिम्मेदार ठहराकर अपनी जिम्मेदारी से बच रही है।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष झारखंड में चार लाख विद्यार्थी मैट्रिक की परीक्षा पास कर चुके हैं, लेकिन इंटर में उनका नामांकन नहीं हो पा रहा है। गोस्वामी ने इसे राज्य सरकार की लापरवाही करार देते हुए कहा कि सरकार स्कूलों को अपग्रेड करने में नाकाम रही है। उन्होंने सरकार के उस दावे पर भी सवाल उठाया जिसमें कहा गया था कि पांच किलोमीटर के दायरे में बच्चों का दाखिला सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह दावा हवा-हवाई साबित हो रहा है, क्योंकि स्कूलों को अपग्रेड ही नहीं किया गया है।”
बीजेपी नेता ने राज्य सरकार से मांग की कि वह स्कूलों को तुरंत अपग्रेड करे और बच्चों के दाखिले की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करे। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है, न कि केंद्र और राज्यपाल पर दोषारोपण करने की।”
नई शिक्षा नीति 2020 को केंद्र सरकार ने 29 जुलाई 2020 को मंजूरी दी थी। यह नीति शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव लाने का दावा करती है, जिसमें मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा, बोर्ड परीक्षाओं का सरलीकरण, और उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 2035 तक 50% तक ले जाने का लक्ष्य शामिल है। हालांकि, झारखंड में इस नीति के कार्यान्वयन में देरी को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।







