ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल टेस्टिंग के लिए तैयार, ऑपरेशन सिंदूर ने बढ़ाई वैश्विक मांग
भारत और रूस के संयुक्त उद्यम, ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित अगली पीढ़ी की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, ब्रह्मोस-एनजी (नेक्स्ट जेनरेशन), 2026 में अपने पहले स्वायत्त उड़ान परीक्षण के लिए तैयार है। इस मिसाइल ने मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी घातक क्षमता का प्रदर्शन किया, जिसके बाद दुनियाभर के कई देशों ने इसकी खरीद में रुचि दिखाई है। खास बात यह है कि रूस भी अपनी सशस्त्र सेनाओं के लिए इस मिसाइल को शामिल करने पर विचार कर रहा है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की ताकत
ऑपरेशन सिंदूर, जो भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच मई 2025 में शुरू हुआ, ने ब्रह्मोस मिसाइल की सटीकता और विनाशकारी शक्ति को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया। इस ऑपरेशन में भारतीय सशस्त्र बलों ने।11 पाकिस्तानी वायुसेना अड्डों पर 15 ब्रह्मोस मिसाइलों का उपयोग कर आतंकी ठिकानों और सैन्य बुनियादी ढांचे को तबाह किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में एक नए ब्रह्मोस निर्माण केंद्र के उद्घाटन के दौरान कहा, “आपने ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की ताकत देखी होगी। अगर नहीं देखी, तो पाकिस्तान से पूछ लीजिए।”
ब्रह्मोस-एनजी: हल्की, तेज, और घातक
ब्रह्मोस-एनजी मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल का एक छोटा, हल्का, और अधिक उन्नत संस्करण है। यह मिसाइल 1.5 टन वजन और 6 मीटर।लंबाई के साथ डिज़ाइन की गई है, जो इसे मिग-29, एलसीए तेजस, और सुखोई-30 एमकेआई जैसे हल्के लड़ाकू विमानों से लॉन्च करने के लिए उपयुक्त बनाती है। यह मिसाइल 290 किमी की रेंज और 3.5 मैक की गति के साथ-साथ कम रडार क्रॉस-सेक्शन और स्वदेशी एईएसए रडार के साथ अत्यधिक सटीक और गुप्त है।
ब्रह्मोस-एनजी की खासियत यह है कि यह न केवल हवाई, बल्कि जमीन और समुद्र से भी लॉन्च की जा सकती है। इसकी फायर-एंड-फॉरगेट तकनीक इसे लॉन्च के बाद किसी अतिरिक्त मार्गदर्शन की आवश्यकता के बिना लक्ष्य को भेदने में सक्षम बनाती है। इसके अलावा, टारपीडो-लॉन्च संस्करण पर भी विचार किया जा रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की प्रभावशाली सफलता के बाद, दुनियाभर के देश इस मिसाइल को अपने शस्त्रागार में शामिल करने के लिए उत्सुक हैं। फिलीपींस ने 2022 में 375 मिलियन डॉलर के सौदे के तहत ब्रह्मोस मिसाइलें हासिल कीं और अप्रैल 2025 में दूसरी खेप प्राप्त की। वियतनाम 700 मिलियन डॉलर के सौदे के साथ इस मिसाइल को अपनी सेना और नौसेना के लिए खरीदने की प्रक्रिया में है। इंडोनेशिया भी 450 मिलियन डॉलर के सौदे को अंतिम रूप देने के करीब है। इसके अलावा, मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, और बुल्गारिया जैसे देशों ने भी ब्रह्मोस मिसाइलों में रुचि दिखाई है।
रूस की रुचि
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के उप-महानिदेशक चिलुकोटि चंद्रशेखर ने रूस की सरकारी समाचार एजेंसी टास को बताया कि रूस अपनी सशस्त्र सेनाओं के लिए ब्रह्मोस-एनजी को शामिल करने पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा, “हम अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए रूसी साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि निर्यात आदेशों के साथ-साथ हमारी अपनी सेनाओं की जरूरतों को पूरा किया जा सके।”
पिछले 25 वर्षों में केवल 1,000 ब्रह्मोस मिसाइलें निर्मित की गई हैं, जो प्रति वर्ष औसतन 25 मिसाइलों के बराबर है। इसकी उच्च लागत को कम करने के लिए, ब्रह्मोस एयरोस्पेस अब उत्पादन बढ़ाने पर काम कर रहा है। लखनऊ में नया ब्रह्मोस एकीकरण और परीक्षण केंद्र प्रतिवर्ष 80-100 मिसाइलों का उत्पादन करेगा, जिसे बाद में बढ़ाकर।100-150 ब्रह्मोस-एनजी तक किया जाएगा। यह सुविधा मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देगी और भारत की रक्षा निर्यात क्षमता को मजबूत करेगी।






