ED की रांची में एक साथ कई ठिकानों में रेड, आयुष्मान भारत स्कैम को लेकर बड़ी छापेमारी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने शुक्रवार को झारखंड की राजधानी रांची में कई स्थानों पर एक साथ छापेमारी शुरू की है। यह कार्रवाई रांची के करीब एक दर्जन ठिकानों पर चल रही है, जिसमें बरियातू, अशोकनगर, पीपी कंपाउंड, और लालपुर जैसे इलाके शामिल हैं। यह छापेमारी अगस्त 2023 में लोकसभा में पेश की गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के आधार पर की जा रही है, जिसमें आयुष्मान योजना में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था। इस घोटाले में झारखंड के 212 अस्पतालों पर धोखाधड़ी का आरोप है, जिसमें रांची के 9 अस्पताल भी शामिल हैं।
घोटाले का पृष्ठभूमि और खुलासा
आयुष्मान भारत योजना, जिसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के नाम से भी जाना जाता है, गरीब और कमजोर परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी। लेकिन सीएजी की रिपोर्ट ने इस योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं को उजागर किया। रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में 212 अस्पतालों ने फर्जी दावे करके सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया। इनमें से कई अस्पतालों ने मरीजों को भर्ती किए बिना ही इलाज के नाम पर भुगतान लिया, जबकि कुछ ने नकली मरीजों के नाम पर दावे किए। रांची के 9 अस्पतालों सहित ये सभी संस्थान योजना के तहत सूचीबद्ध थे।
सरकार ने इस फर्जीवाड़े की पुष्टि के लिए कई स्तरों पर जांच की। 104 सेवा (हेल्पलाइन) और अन्य जांच तंत्रों के जरिए अस्पतालों द्वारा बताए गए मरीजों से संपर्क किया गया। इस दौरान पता चला कि कई मरीजों का इलाज ही नहीं हुआ था, और उनके नाम पर दावे फर्जी थे। इसके बाद सरकार ने सख्त कदम उठाए:
78 अस्पतालों को आयुष्मान योजना की सूची से हटा दिया गया।
89 अस्पतालों से करीब 1 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया।
250 से ज्यादा अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस (शो-कॉज) जारी किया गया।
एक अस्पताल संचालक के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई।
ईडी की जांच
ईडी ने इस मामले में अगस्त 2023 में झारखंड के स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर घोटाले से जुड़े विवरण मांगे थे। ईडी ने जानना चाहा कि राज्य सरकार ने कितने फर्जी दावों को पकड़ा और दोषी अस्पतालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। जवाब में स्वास्थ्य विभाग ने 7 जिलों के 13 अस्पतालों की सूची सौंपी, जिन पर 500 से अधिक फर्जी दावों का आरोप था। इसके बाद ईडी ने अपनी जांच तेज कर दी और अब रांची में छापेमारी के जरिए इस घोटाले की गहराई तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
4 अप्रैल 2025 को शुरू हुई यह छापेमारी संभवतः उन अस्पतालों, उनके संचालकों, और संबंधित व्यक्तियों के ठिकानों पर केंद्रित है, जो इस फर्जीवाड़े में शामिल हो सकते हैं। ईडी का मकसद उन दस्तावेजों, डिजिटल रिकॉर्ड्स, और सबूतों को इकट्ठा करना है, जो इस घोटाले के पैमाने और इसमें शामिल लोगों की पहचान कर सकें।
घोटाले का तरीका
अस्पतालों ने कई तरह से फर्जीवाड़ा किया:
फर्जी मरीजों के दावे: मरीजों को भर्ती किए बिना उनके नाम पर इलाज का दावा किया गया।
नकली दस्तावेज: फर्जी पहचान पत्र और मेडिकल रिकॉर्ड बनाकर योजना का लाभ उठाया गया।
असली मरीजों से धोखा: कुछ मामलों में मरीजों का इलाज करने के बाद भी उनके आयुष्मान कार्ड का इस्तेमाल कर अतिरिक्त दावे किए गए।
इन तरीकों से अस्पतालों ने सरकारी रुपयों को हड़पने की कोशिश की,
अब तक की कार्रवाई और प्रभाव
भुगतान पर रोक: सरकार ने दोषी अस्पतालों का भुगतान रोक दिया है।
कानूनी कदम: एक अस्पताल संचालक के खिलाफ FIR दर्ज की गई, और अन्य पर भी कार्रवाई की तैयारी है।
ईडी की छापेमारी: इस छापेमारी में मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक साजिश के पहलुओं की पड़ताल हो रही है।
आगे क्या?
ईडी की यह कार्रवाई अभी जारी है, और आने वाले दिनों में और खुलासे होने की संभावना है। यदि जांच में बड़े नाम या प्रभावशाली लोग शामिल पाए गए, तो यह मामला राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर भी हलचल मचा सकता है। इस कथित घोटाले से आयुष्मान योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं,