नवरात्रि का आठवां दिन: मां महागौरी की आराधना, अष्टमी तिथि का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन देशभर में श्रद्धा भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ा है। आज मंगलवार को मां दुर्गा के अष्टम स्वरूप मां महागौरी की पूजा-अर्चना हो रही है। सफेद वस्त्रों से सुशोभित यह रूप शुद्धता, शांति और ज्ञान का प्रतीक है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी या महाष्टमी भी कहा जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है। इस पावन अवसर पर कन्या पूजन और हवन का विशेष महत्व है, जो व्रत को पूर्णता प्रदान करता है। आइए जानते हैं अष्टमी तिथि के महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में।

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर को हुई थी, जो इस बार 10 दिनों की है, क्योंकि चतुर्थी तिथि में वृद्धि हुई है। पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 29 सितंबर को दोपहर 4:31 बजे से प्रारंभ होकर 30 सितंबर को शाम 6:06 बजे तक रहेगी। इसलिए उदय तिथि के आधार पर आज ही महाष्टमी मनाई जा रही है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर, चंड-मुंड का वध किया था, जिससे यह तिथि शक्ति और विजय का प्रतीक बनी। मां महागौरी की पूजा से भक्तों को पापों से मुक्ति, स्वास्थ्य लाभ और मनोकामनाओं की पूर्ति मिलती है। अष्टमी पर कन्या पूजन न करने से नवरात्रि व्रत अधूरा माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से बालिकाओं को देवी का रूप मानकर सम्मानित करने का अवसर है, जो समाज में नारी शक्ति के सम्मान को दर्शाता है। नवमी तिथि कल 1 अक्टूबर को होगी, जहां हवन का विशेष आयोजन होता है।

मां महागौरी पूजा विधि
मां महागौरी की पूजा सरल लेकिन विधि-पूर्वक करनी चाहिए। निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल पर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। कलश में जल भरकर नारियल रखें और आम के पत्तों से सजाएं। मां महागौरी की मूर्ति को सफेद फूलों, चंदन और कुमकुम से सजाएं। उन्हें सफेद वस्त्र, गंगाजल और दूध से स्नान कराएं। “ॐ देवी महागौर्यै नमः” मंत्र का जाप करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। आरती के दौरान घी का दीपक जलाएं। जिसके बाद मां को खीर, पुआ, हलवा और सफेद मिठाई का भोग लगाएं। पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें। 2 से 10 वर्ष की 8 या 9 कन्याओं को आमंत्रित करें। उनके पैर धोएं, आसन दें, तिलक लगाएं। हलवा-पूरी, चने का भोजन कराएं और दक्षिणा दें। एक बालक को भैरव रूप में शामिल करें। पूजा सामग्री में सफेद फूल, दूध, दही, घी, कपूर, अगरबत्ती आदि शामिल करें। यदि संभव हो तो अष्टमी-नवमी संधिकाल में हवन करें।

शुभ मुहूर्त
आज के दिन पूजा के लिए सुबह 11:59 बजे से दोपहर 12:49 बजे तक। दोपहर 2:15 बजे से 2:55 बजे तक शुभ मुहूर्त है। वहीं कन्या पूजन सुबह 7:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक करें। हवन का मुहूर्त शाम 6:00 बजे के बाद, संधिकाल में। ये मुहूर्त स्थान के अनुसार थोड़े भिन्न हो सकते हैं, इसलिए स्थानीय पंडित से सलाह लें।

इस अष्टमी तिथि पर मां महागौरी की कृपा से सभी भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि आए। नवरात्रि की यह यात्रा कल महानवमी के साथ और समृद्ध होगी।








