घाटशिला उपचुनाव: एनडीए ने रणनीति को दिया अंतिम रूप, रांची में हुई अहम बैठक


घाटशिला उपचुनाव: एनडीए ने रणनीति को दिया अंतिम रूप, रांची में हुई अहम बैठक
रांची, 7 अक्टूबर : झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले की घाटशिला विधानसभा सीट पर आगामी उपचुनाव की तैयारियों को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है। रांची स्थित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश कार्यालय में मंगलवार को आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में गठबंधन के प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया। इस बैठक में उपचुनाव में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) गठबंधन के खिलाफ एकजुट होकर निर्णायक जीत हासिल करने का संकल्प लिया गया।
बैठक में शामिल प्रमुख नेता
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की अध्यक्षता में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के प्रमुख सुदेश महतो, जनता दल (यूनाइटेड) के खीरू महतो और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के विधायक जनार्दन पासवान शामिल हुए। बैठक का मुख्य उद्देश्य घाटशिला उपचुनाव के लिए उम्मीदवार चयन, प्रचार रणनीति और गठबंधन के विभिन्न दलों के बीच समन्वय स्थापित करना था।

उपचुनाव
घाटशिला विधानसभा सीट पूर्व विधायक रामदास सोरेन के निधन के बाद खाली हुई थी। इसके लिए निर्वाचन आयोग ने 11 नवंबर 2025 को मतदान और 14 नवंबर 2025 को मतगणना की तारीख घोषित की है। यह सीट आदिवासी बहुल क्षेत्र में आती है, जिसके कारण जातीय समीकरण इस उपचुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। एनडीए इस क्षेत्र में आदिवासी वोटों को एकजुट करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
रणनीति और उम्मीदवार चयन
बैठक में एनडीए नेताओं ने सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ मजबूत रणनीति तैयार करने पर जोर दिया। सूत्रों के अनुसार, भाजपा की ओर से बाबूलाल सोरेन और रमेश हांसदा जैसे नाम उम्मीदवारों की सूची में चर्चा में हैं। गठबंधन ने यह सुनिश्चित करने का निर्णय लिया कि सभी सहयोगी दल मिलकर प्रचार अभियान को गति दें और मतदाताओं तक अपनी बात प्रभावी ढंग से पहुंचाएं। घाटशिला में एनडीए की स्थिति को मजबूत माना जा रहा है, विशेषकर आदिवासी समुदाय के बीच गठबंधन की पैठ को देखते हुए।
प्रशासनिक तैयारियां
उपचुनाव की तैयारियों के तहत जिला प्रशासन ने घाटशिला में लगभग 300 मतदान केंद्र स्थापित किए हैं। प्रारंभिक मतदाता सूची का प्रकाशन 2 सितंबर 2025 को हो चुका है, और मतदाता सूची में संशोधन की प्रक्रिया भी पूरी की जा रही है। प्रशासन ने सभी राजनीतिक दलों से शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की अपील की है।
चुनावी समीकरण और चुनौतियां
घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। एनडीए इस क्षेत्र में आदिवासी समुदाय के बीच अपनी पैठ को मजबूत करने के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को उठाने की योजना बना रहा है। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन भी इस सीट को अपने कब्जे में रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा। दोनों पक्षों के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है।
नेताओं का बयान
बैठक के बाद बाबूलाल मरांडी ने कहा, “एनडीए एकजुट है और घाटशिला की जनता के हितों के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा लक्ष्य सत्तारूढ़ गठबंधन की नाकामियों को उजागर करना और विकास के मुद्दे पर जनता का समर्थन हासिल करना है।” सुदेश महतो ने भी जोर देकर कहा कि गठबंधन का हर कार्यकर्ता इस उपचुनाव में जी-जान से मेहनत करेगा।
एनडीए ने प्रचार अभियान को तेज करने के लिए स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने का फैसला किया है। गठबंधन ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी-छोटी सभाओं और डोर-टू-डोर कैंपेन पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसके साथ ही, सोशल मीडिया के जरिए भी मतदाताओं तक पहुंचने की योजना है।
यह उपचुनाव न केवल एनडीए के लिए अपनी ताकत दिखाने का अवसर है, बल्कि यह झारखंड की राजनीति में गठबंधन की स्थिति को भी परखेगा। एनडीए की एकजुटता और रणनीतिक तैयारी इस उपचुनाव को और भी रोचक बना रही है। अब सभी की निगाहें 11 नवंबर को होने वाले मतदान पर टिकी हैं, जो यह तय करेगा कि घाटशिला की जनता किसके पक्ष में अपना जनादेश देती है।










