झारखण्ड राज्य में पहला आदिवासी जनजाति म्यूजियम कोल्हान विश्वविद्यालय में तैयार
आदिवासी जनजाति की कला व संस्कृति को संजोये रखने के लिए कोल्हान विश्वविद्यालय के टीआरएल ट्राइबल रीजनल लैंग्वेज विभाग ने नई पहल की है. जनजातीय विभाग ने एक म्यूजियम तैयार किया है, जिसमें जनजातीय लोगों के हजारों वर्ष पूर्व में रहन-सहन के लिए इस्तेमाल करने वाली सामग्री मौजूद है. आदिवासियों की वेश भूषा, नृत्य, संगीत में उपयोग करने वाले सामग्री इत्यादि को भी इस संग्रहालय में संजो कर रखा गया है. झारखंड में विश्वविद्यालय स्तर पर जनजातीय संग्रहालय तैयार करने की यह पहली पहल है.
इसे भी पढ़े :-
संग्रहालय उदघाटन के लिए तैयार, कुलपति की हरी झंडी का इंतजार
इस संग्रहालय के जरिए जनजाति से जुड़ी लोक-कलाओं और इतिहास की जानकारी बखूबी मिल रही है. संग्रहालय को आम लोगों के लिए जल्द खोल दिया जाएगा. उदघाटन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. टीआरएल विभाग को कुलपति के आदेश का इंतजार है. मालूम हो कि कोल्हान जनजातीय बहुल क्षेत्र है. कोल्हान विवि के टीआरएल विभाग में वर्तमान समय में तीन भाषा की पढ़ाई होती है. जिसमें हो, कुड़माली व संथाली भाषा शामिल है.
इसे भी पढ़े :-
लुप्त हो रही परंपरा , औजारों का भी हो संरक्षण
कोल्हान विवि के प्रवक्ता डॉ पीके पाणी ने कहा कि जल्द ही संग्रहालय का उद्घाटन कराया जाएगा. विद्यार्थियों से लेकर आम जनता के लिये समय पर इसे खोला जायेगा. ताकि म्यूजियम पहुंचकर लोग आदिवासी व क्षेत्रीय जनजातीय रहन-सहन को नजदीक से जान सकेंगे. उन्होंने कहा कि संग्रहालय से हम न केवल सांस्कृतिक वैशिष्ट्य को दिखा सकते हैं, वरन लुप्त हो रही परंपराओं को भी समेट सकते हैं. लोहा गलाने की प्राचीन तकनीक की जीवंत प्रस्तुति कर सकते हैं. प्राचीन काल से अब तक की आदिवासी यात्रा, पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र, खान-पान, पर्व-त्योहार, पारंपरिक आभूषण, वाद्ययंत्र, हस्तशिल्प व शिकार करने के हथियार भी सहेजे जा सकते हैं.
इसे भी पढ़े :-
न्यायमूर्ति रमन्ना ने कहा कि जजों की कॉलोनी में कोई सुरक्षा क्यों नहीं
संग्रहालय में हो जनजातियों की संस्कृति की वस्तुओं का संग्रह
संग्रहालय में कोल्हान में बहुलता से निवास करने वाली हो जनजाति की संस्कृति से जुड़ी हुई चीजों का संग्रह किया गया है. इनमें वाद्ययंत्र, नगाड़ा, मृदंग, बांसुरी, बनम(देसी सितार), खाद्यान्न संचय करने का बांदी (पूड़ा), जंगली फल, जड़ी-बूटी, हल, जाल, तीर-धनुष, अनाज के बीज आदि शामिल हैं.
लॉकडाउन के कारण उदघाटन होने में हो रही देरी
कुड़माली भाषा के विभागाध्यक्ष प्रो सुभाष महतो के अनुसार आदिवासी वेशभूषा से जुड़ी हर तरह की सामग्री इस संग्रहालय में मौजूद है. लंबे समय से टीआरएल विभाग की ओर से तैयारी चल रही थी. लॉकडाउन के कारण उद्घाटन नहीं हो पाया था. कुलपति के आदेश आने पर ही उद्घाटन की तिथि रखी जायेगी. हो भाषा के विभागाध्यक्ष प्रो बसंत चाकी ने बताया कि कोल्हान विवि में यह पहला संग्रहालय है जहां पर जनजातीय लोगों का इतिहास रखा हुआ है. इस संग्रहालय से विद्यार्थियों को काफी लाभ मिलेगा. इसमें हस्तशिल्प जैसे औजार, बांसुरी, नगाड़ा आदि रखा गया है. हजारों वर्ष पूर्व जनजातीय लोगों के इस्तेमाल करने वाले सामान यहां मौजूद हैं.