रजरप्पा में बंद कोयला खदान में भीषण आग: ग्रामीण दहशत में, प्रशासन और सीसीएल की लापरवाही पर सवाल
रजरप्पा में बंद कोयला खदान में भीषण आग: ग्रामीण दहशत में, प्रशासन और सीसीएल की लापरवाही पर सवाल
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!रामगढ़ : आकाश शर्मा
रामगढ़ जिले के रजरप्पा थाना क्षेत्र के भूचुंगडीह गांव में सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) की बंद पड़ी कोयला खदान में 21 अप्रैल, को अचानक भीषण आग लग गई। इस घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। आग की ऊंची-ऊंची लपटें और जहरीली गैस का रिसाव क्षेत्र में फैल रहा है, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह हादसा सीसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है, क्योंकि खदान से लंबे समय से अवैध कोयला खनन हो रहा था और इसकी बार-बार शिकायत के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

घटना का विवरण
स्थान: भूचुंगडीह गांव, रजरप्पा थाना क्षेत्र, रामगढ़, झारखंड। खदान भेड़ा नदी के किनारे स्थित है।
समय: आग की शुरुआत 21 अप्रैल, की सुबह मानी जा रही है, जब ग्रामीणों ने धुएं की तेज गंध और आग की लपटें देखीं।
खदान की स्थिति: यह खदान लगभग 50 वर्ष पहले बंद हो चुकी थी। इसके बावजूद, अवैध कोयला तस्करों द्वारा यहां से लगातार कोयला निकाला जा रहा था।
प्रभाव: आग की लपटों के साथ काला धुआं और जहरीली गैस (संभवतः कार्बन मोनोऑक्साइड और मीथेन) का रिसाव हो रहा है, जिससे आसपास के ग्रामीणों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं।

ग्रामीणों की शिकायतें
ग्रामीणों का कहना है कि:
अवैध खनन: बंद खदान से अवैध कोयला माइनिंग लंबे समय से चल रही थी। तस्करों ने सुरंगें बनाकर कोयला निकाला, जिससे खदान की संरचना कमजोर हो गई और आग लगने का खतरा बढ़ गया।
प्रशासन की अनदेखी: ग्रामीणों ने कई बार सीसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन को अवैध खनन की जानकारी दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
स्वास्थ्य और सुरक्षा खतरा: जहरीली गैस और धुएं के कारण बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों की स्थिति गंभीर हो रही है। ग्रामीणों को डर है कि आग और गैस का रिसाव उनके घरों तक पहुंच सकता है।
विस्थापन का डर: आग के बढ़ने से गांव को खाली करने की नौबत आ सकती है, जिससे उनकी आजीविका और जमीन पर संकट मंडरा रहा है।
सीसीएल और जिला प्रशासन पर सवाल
सीसीएल की लापरवाही: ग्रामीणों का आरोप है कि सीसीएल ने बंद खदान की सुरक्षा और निगरानी के लिए कोई उपाय नहीं किए। खदानों को ठीक ढंग से सील नहीं किया गया, जिससे तस्करों को अवैध खनन का मौका मिला।
जिला प्रशासन की उदासीनता: प्रशासन को अवैध खनन की शिकायतें मिलने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते कदम उठाए गए होते, तो यह हादसा टाला जा सकता था।
पिछले उदाहरण: झारखंड और पड़ोसी राज्यों में बंद खदानों में अवैध खनन के कारण पहले भी कई हादसे हो चुके हैं, जैसे 2023 में पश्चिम बंगाल के आसनसोल में
अवैध कोयला खनन का व्यापक खेल
रजरप्पा क्षेत्र: भूचुंगडीह में अवैध खनन कोई नई बात नहीं है। तस्करों ने जंगल और नदी किनारे की जमीनों को अवैध माइंस में बदल दिया है।
गिद्दी थाना क्षेत्र: खपिया में भी अवैध कोयला खनन बड़े पैमाने पर हो रहा है। जंगल में माइंस बनाकर कोयला निकाला जा रहा है, जिससे वहां भी बड़ी दुर्घटना की आशंका है।
कोयला माफिया: कोयला तस्कर स्थानीय माफियाओं के साथ मिलकर कोयला निकालते हैं और इसे स्थानीय फैक्ट्रियों या अन्य राज्यों (जैसे बिहार) में बेचते हैं।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका: कुछ मामलों में स्थानीय पुलिस और प्रशासन पर माफियाओं के साथ साठगांठ के आरोप लगे हैं, जिसके कारण अवैध खनन पर पूरी तरह रोक नहीं लग पा रही।
तत्काल प्रभाव और कार्रवाई
आग पर काबू:
ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन तत्काल आग बुझाने, जहरीली गैस के रिसाव को रोकने और अवैध खनन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करे।
जिला प्रशासन का रुख: प्रशासन ने जांच शुरू करने और स्थिति का जायजा लेने की बात कही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है।




