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झारखंड डीजीपी अनुराग गुप्ता का ऐतिहासिक नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व , बोकारो मुठभेड़ में शीर्ष माओवादी नेता ढेर

झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता को बोकारो जिले के ललपनिया थाना क्षेत्र में लुगू पहाड़ी पर नक्सलियों के साथ हुई भीषण मुठभेड़ में उनकी योजना और समन्वय की भूमिका ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया। इस ऑपरेशन “डाकाबेड़ा” में आठ नक्सलियों को मार गिराया गया, जिसमें भाकपा (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी के सदस्य और एक करोड़ रुपये के इनामी नक्सली प्रयाग मांझी उर्फ विवेक भी शामिल थे। इस सफलता ने न केवल झारखंड पुलिस की क्षमता को प्रदर्शित किया, बल्कि डीजीपी अनुराग गुप्ता की नेतृत्व शैली और नक्सलवाद के खिलाफ उनकी जीरो-टॉलरेंस नीति को भी रेखांकित किया।

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डीजीपी अनुराग गुप्ता की भूमिका 
रणनीतिक योजना और समन्वय:
लुगू पहाड़ी मुठभेड़ में डीजीपी अनुराग गुप्ता ने आईजी अभियान अमोल विनुकांत होमकर और सीआरपीएफ आईजी साकेत सिंह के साथ मिलकर एक अचूक योजना तैयार की। खुफिया जानकारी के आधार पर नक्सलियों के मूवमेंट को ट्रैक किया गया और उन्हें चारों ओर से घेर लिया गया।
ऑपरेशन की शुरुआत सुबह 5:30 बजे हुई, जिसमें कोबरा 209 बटालियन ने नेतृत्व किया। इस मुठभेड़ में नक्सलियों को भागने का कोई मौका नहीं मिला, जो अनुराग गुप्ता की सटीक रणनीति का प्रमाण है।
डीजीपी ने इस ऑपरेशन को “डाकाबेड़ा” नाम दिया, जिसके तहत नक्सलियों के ठिकानों को पूरी तरह नष्ट करने का लक्ष्य रखा गया। इस ऑपरेशन ने न केवल प्रयाग मांझी जैसे शीर्ष नक्सली को खत्म किया, बल्कि नक्सलियों के मनोबल को भी तोड़ा।
नक्सलवाद के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस नीति:
अनुराग गुप्ता ने बार-बार नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने या सख्त कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी है। मुठभेड़ के बाद उन्होंने कहा, “जो नक्सली सक्रिय हैं, उन्हें जल्द से जल्द आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में आ जाना चाहिए।”
2024 में चाईबासा में एक समीक्षा बैठक के दौरान, गुप्ता ने दावा किया कि झारखंड में 95% नक्सल समस्या समाप्त हो चुकी है और बचे हुए 5% को तीन महीने में खत्म कर दिया जाएगा। यह दावा उनकी नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उनकी नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार की पुनर्वास योजनाओं को भी बढ़ावा दिया गया है।
पुलिस और केंद्रीय बलों के साथ उत्कृष्ट समन्वय:
DGP अनुराग गुप्ता ने झारखंड पुलिस, सीआरपीएफ, कोबरा, और झारखंड जगुआर जैसे बलों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित किया। लुगू पहाड़ी ऑपरेशन में यह समन्वय स्पष्ट रूप से दिखा, जहां विभिन्न बलों ने एकजुट होकर नक्सलियों को घेरा।
पश्चिमी सिंहभूम जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में, गुप्ता ने नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित कीं और जवानों का हौसला बढ़ाया। 14 अप्रैल 2025 को चाईबासा में उनकी उपस्थिति और निरीक्षण ने स्थानीय बलों को और प्रेरित किया।
पुलिस सुधार और अनुशासन पर जोर:
गुप्ता ने झारखंड पुलिस की छवि सुधारने के लिए कई कदम उठाए। मार्च 2025 में, उन्होंने एक आदेश जारी किया जिसमें लापरवाह पुलिसकर्मियों और अपराधियों से संबंध रखने वालों की पहचान कर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इस कदम ने पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया और अनुशासन को बढ़ावा दिया।
उन्होंने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को नक्सलियों और अपराधियों का डेटा तैयार करने और उनकी संपत्ति कुर्क करने के निर्देश दिए, जिससे अपराधियों पर दबाव बढ़ा।
2024-2025 में नक्सल विरोधी अभियानों की सफलता:
एक आंकड़े के मुताबिक अनुराग गुप्ता के नेतृत्व में 2024 में झारखंड पुलिस ने 248 नक्सलियों को गिरफ्तार किया, 24 ने आत्मसमर्पण किया, और 9 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया।
जनवरी 2025 में पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर में दो नक्सलियों को मार गिराया गया, जिसमें अनुराग गुप्ता ने जवानों का हौसला बढ़ाया और नक्सलियों को “गुंडे” करार देते हुए कड़ी चेतावनी दी।
झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों के समन्वय का श्रेय डीजीपी अनुराग गुप्ता को जाता है। उनकी अगुवाई में, लुगू पहाड़ी जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाए गए, जिससे नक्सलियों के नेटवर्क को ध्वस्त किया गया।
अनुराग गुप्ता का करियर और पृष्ठभूमि:
1990 बैच के आईपीएस अधिकारी: अनुराग गुप्ता ने झारखंड पुलिस में कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं।
नियुक्ति: जुलाई 2024 में उन्हें प्रभारी डीजीपी बनाया गया, और फरवरी 2025 में हेमंत सोरेन सरकार ने उन्हें नियमित डीजीपी नियुक्त किया।
प्रभाव और प्रशंसा:
नक्सल मुक्त झारखंड का सपना: गुप्ता की रणनीति ने पारसनाथ और लुगू पहाड़ी जैसे क्षेत्रों को नक्सल-मुक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी अगुवाई में झारखंड पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ अभूतपूर्व सफलता हासिल की।
जवानों का मनोबल: गुप्ता ने नियमित रूप से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और जवानों का हौसला बढ़ाया। चाईबासा और बोकारो में उनकी उपस्थिति ने पुलिस बलों में नया जोश भरा।
सार्वजनिक बयान: लुगू पहाड़ी मुठभेड़ के बाद, गुप्ता ने कहा कि नक्सलियों की हर गतिविधि पर नजर है, और उनकी नींद उड़ चुकी है। यह बयान उनकी आक्रामक और आत्मविश्वासपूर्ण शैली को दर्शाता है।

जाहिर है डीजीपी अनुराग गुप्ता की अगुवाई में झारखंड पुलिस ने नक्सलवाद के खिलाफ ऐतिहासिक सफलताएं हासिल की हैं। उनकी रणनीतिक सोच, केंद्रीय बलों के साथ समन्वय, और अनुशासित दृष्टिकोण ने उन्हें झारखंड में नक्सल विरोधी अभियानों का चेहरा बना दिया। लुगू पहाड़ी मुठभेड़ ने उनकी क्षमता को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर किया, और उनके नेतृत्व में झारखंड नक्सल-मुक्त राज्य बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।

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