गुमनाम हो रहा स्वतंत्रता सेनानी का वंशज ईमानदारी के प्रतीक हजारीबाग के पहले विधायक (MLA)
पतरातू गुड्डू पांडेय
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पतरातू प्रखंड स्थित हफुआ पंचायत के इचापीर गांव में स्वतंत्रा सेनानी स्वर्गीय खैरा मांझी का गांव है, आजादी के दीवानों के परिजनों को , अंग्रेजी शासनकाल में आजादी के मतवालों को गोलबंद कर हजारीबाग समाहरणालय पर तिरंगा फहराने वाले खैरा मांझी के परिजन आज मुफलिसी में जीने को विवश हैं , आजादी के दीवानों के परिजनों के साथ स्वतंत्र भारत की सरकार के रवैये का ज्वलंत उदाहरण है सरकार द्वारा किसी तरह का लाभ खैरा मांझी का परिवार , न रोजी-रोजगार की व्यवस्था न स्वतंत्रता सेनानी के वंशज होने का लाभ ,
प्रेम प्रसंग में फंसा कर युवती के साथ किया सामूहिक बलात्कार Rape,
हाँ प्रखंड मुख्यालय परिसर में लगाया गया शिलापट में इनका नाम जरुर अंकित है । वही हर साल बाबा खैरा मांझी की याद में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर जीवन जोड़ी मेला का आयोजन होता है लेकिन फिलहाल कोरोना संक्रमण को लेकर 2 साल से जीवन जोड़ी मेला भी नहीं लगा है ।वही सरकार उनके आवास से करीब 1 किलोमीटर तक पगडंडी सड़क है जो काफी जर्जर है इसके पहल विधायक ,सांसद, पंचायत प्रतिनिधि नाही स्थानीय प्रशासन कभी ध्यान नहीं दिया सिर्फ आश्वासन ही मिला। मौजूदा बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने भी इस बार उनके वंशजों के लिए कुछ करने की बात कही थी लेकिन वह भी सिर्फ बात में ही रह गया, काश स्वतंत्र सेनानी खैरा मांझी के परिजनों का सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में अहम भूमिका निभाती तो उनके बलिदान का श्रेय का भरपाई हो पाती।





