झारखंड में ‘नाम परिवर्तन घोटाला’: भाजपा ने हेमंत सरकार पर लगाए गंभीर आरोप, सीबीआई जांच की मांग
रांची: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर एक नया और गंभीर आरोप लगाते हुए ‘नाम परिवर्तन घोटाला’ का खुलासा किया है। उन्होंने इस मामले में तत्काल सीबीआई जांच की मांग की है, साथ ही सवाल उठाया है कि क्या यह घोटाला धर्मांतरण के आंकड़ों को छिपाने की साजिश का हिस्सा है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!प्रतुल शाहदेव ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि हेमंत सरकार के कार्यकाल में घोटालों की श्रृंखला में अब ‘नाम परिवर्तन घोटाला’ भी शामिल हो गया है। उन्होंने बताया कि झारखंड राज्य बनने के बाद कई वर्षों तक नाम परिवर्तन से संबंधित गजट नोटिफिकेशन मैन्युअल रूप से दर्ज किए जाते थे और इसका रजिस्टर मेंटेन किया जाता था। लेकिन, वर्तमान सरकार के समय ये सारे रजिस्टर और नाम परिवर्तन से संबंधित दस्तावेज गायब हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि इस अवधि में कितने लोगों ने अपने नाम बदले, कब बदले, और नए नाम क्या रखे गए, इसका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। हाल के वर्षों में नाम परिवर्तन की प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बावजूद रिकॉर्ड ठीक से मेंटेन नहीं किए गए हैं। इसके साथ ही बड़ी वित्तीय अनियमितता के भी आरोप हैं।
प्रतुल शाहदेव ने इस मामले को धर्मांतरण से जोड़ते हुए गंभीर आशंका जताई है। उन्होंने कहा कि झारखंड में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण में लिप्त शक्तियां सक्रिय हैं। नाम परिवर्तन के रजिस्टर गायब होने से यह संदेह और गहरा हो गया है कि कहीं यह धर्मांतरण की वास्तविक संख्या को छिपाने की साजिश तो नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि नाम परिवर्तन का रजिस्टर लोगों की पहचान का एक महत्वपूर्ण आधार हो सकता था। इन दस्तावेजों के गायब होने से कोई भी व्यक्ति आधार कार्ड में बदलाव कर अपनी उम्र, धर्म, या जाति तक बदल सकता है। यह एक गंभीर मुद्दा है, जिसकी गहराई से जांच होनी चाहिए।
प्रतुल ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकारी दस्तावेजों के गायब होने के बावजूद कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई, जो इस पूरे मामले को और संदिग्ध बनाता है। उन्होंने बताया कि सरकार ने केवल राजकीय प्रेस के संजीव कुमार से स्पष्टीकरण मांगा है, जबकि इस तरह के मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह साफ तौर पर मामले को रफा-दफा करने की साजिश है। जब सरकारी दस्तावेज गायब होते हैं, तो यह एक गंभीर अपराध है, लेकिन सरकार इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। प्रतुल शाहदेव ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने कहा, “यह आशंका है कि गहन जांच के बाद कई और चौंकाने वाले रहस्य सामने आ सकते हैं। नाम परिवर्तन के दस्तावेजों का गायब होना न केवल प्रशासनिक विफलता है, बल्कि यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा भी हो सकता है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बिहार में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान शुरू किया है, और जल्द ही झारखंड सहित पूरे देश में भी यह शुरू हो सकता है। ऐसे में नाम परिवर्तन के रिकॉर्ड की अनुपलब्धता मतदाता सूची की शुद्धता पर भी सवाल उठाती है।




