RANCHI

 Ranchi :बी.सी सखी गांव-पंचायत की चलती-फिरती बैंक, ग्रामीणों को अब अपने चौखट पर ही मिल रहीं बैंकिंग सेवाएं

 

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

 Ranchi :बी.सी सखी गांव-पंचायत की चलती-फिरती बैंक
 ग्रामीणों को अब अपने चौखट पर ही मिल रहीं बैंकिंग सेवाएं
 महिला सशक्तिकरण की मिसाल है चिंतामणी
 पेंशन धारकों को मिल रहा सर्वाधिक लाभ

रांची

चिंतामणी देवी ने अपने गांव-पंचायत में एक गृहिणी के साथ-साथ एक कुशल बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट सखी के रूप में पहचान बनाई है। रांची के बुडमू प्रखंड के कटंगदिरी गांव की चिंतामणी देवी को आज लोग बैंक वाली दीदी कहकर बुलाते हैं। अब कटंगदिरी गांव के ग्रामीणों को बैंक के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। उनका बैंक अब चिंतामणी बन चुकी है।

लाभार्थियों को घर बैठे मिल रहा पैसा

चिंतामणी की आत्मनिर्भरता की कहानी गुलाब-जल स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के साथ शुरू होई। इसके बाद चिंतामणी जेएसएलपीएस, ग्रामीण विकास विभाग से मिले सहयोग एवं प्रशिक्षण की बदौलत आज बैंक ऑफ इंडिया में बीसी सखी के रूप में कार्य करने लगी। अब वह गांव-गांव घूमकर लोगों को बैंकिंग सेवाएं यथा जमा-निकासी, समूह का ट्रांज़ैक्शन, खाता खोलना, पेंशन एवं बीमा सेवाएं प्रदान कर रहीं है। इस कार्य से चिंतामणी ने जहां अपनी आजीविका सुनिश्चित की, वहीं बीसी सखी की सेवाओं से सबसे ज्यादा फायदा पेंशन धारकों को हुआ है। चाहे वह वृद्धावस्था पेंशन हो या दिव्यांग पेंशन। अब लाभार्थियों को उनका पैसा घर बैठे मिल रहा है।

बीमा के प्रति जागरूक हुए ग्रामीण

चिंतामणी जैसी करीब 4950 से ज्यादा झारखण्ड की ग्रामीण महिलाओं को जेएसएलपीएस द्वारा प्रशिक्षित कर बीसी सखी के रूप तैयार किया गया है, जो गांव-गांव, पंचायत-पंचायत बैंकिंग एवं बीमा सेवाएं पहुंचा रहीं है। बीसी सखी के वजह से अब ग्रामीणों में बैंकिंग एवं बीमा के प्रति जागरूकता बढ़ी है।

Share via
Send this to a friend