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RANCHI: रघुवर दास का बीजेपी के मंडल अध्यक्ष से झारखंड के सीएम और ओडिशा के राज्यपाल तक सफर फिलहाल उन्हें गवर्नर बनाकर OBC को साधने की कोशिश

 

RANCHI: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास अब ओडिशा के राज्यपाल बनने जा रहे हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनको ओडिशा का राज्यपाल नियुक्त कर दिया है. जिस दिन वह पदभार ग्रहण करेंगे, उसी दिन से उनकी नियुक्ति प्रभावी मानी जाएगी. रघुवर दास एक ऐसे नेता हैं, जो जमीन से उठकर राजनीति के शिखर तक पहुंचे. झारखण्ड बीजेपी के एक साधारण कार्यकर्त्ता से राज्यपाल बनने के सफर काफी कठिनाइयों भरा रहा है। बीजेपी के साधारण कार्यकर्ता को जब पूर्वी सिंहभूम के जिला मुख्यालय जमशेदपुर स्थित सीतारामडेरा मंडल का अध्यक्ष बनाया गया, तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन यह शख्स किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री बनेगा. लेकिन, रघुवर दास ने पार्टी संगठन में अपने काम का लोहा मनवाया और लगातार तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए. झारखंड के मुख्यमंत्री बनने से पहले वह कई विभागों के मंत्री और झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. वर्ष 2020 में जगत प्रकाश नड्डा की टीम में उन्हें उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई. हालांकि, इसके पहले भी वह 43 दिनों तक बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके थे. 16 अगस्त 2014 से 27 दिसंबर 2014 तक वह इस पद पर थे. इसके बाद झारखंड में बीजेपी की सरकार बनी और रघुवर दास को यहां का मुख्यमंत्री बनाया गया. रघुवर दास झारखंड के पहले मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया.

अब जब आप उनके राजनीतिक सफर पर नजर डालेंगे, तो पाएंगे कि उन्होंने मंडल अध्यक्ष से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, झारखंड में कई विभागों के मंत्री, झारखंड प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री बनने के बाद एक बार फिर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अब पड़ोसी राज्य ओडिशा के राज्यपाल बनाए गए हैं. वर्ष 1977 में रघुवर दास ने जनता पार्टी की सदस्यता ली. वर्ष 1980 में बीजेपी की स्थापना हुई, तो वह इस पार्टी से जुड़ गए. मुंबई में आयोजित पार्टी के प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन में उन्होंने हिस्सा लिया. राजनीति को उन्होंने सेवा का माध्यम मानकर छात्र राजनीति से ही इस ओर कदम बढ़ा दिए थे.
रघुवर दास छात्र संघर्ष समिति के संयोजक बने और जमशेदपुर में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए जोरदार आंदोलन किया. लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की. आंदोलन के लिए जमशेदपुर के युवाओं एवं छात्रों को संगठित किया. फलस्वरूप उन्हें जेल भी जाना पड़ा. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया, तो रघुवर दास ने इसका विरोध किया. बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई करने वाले रघुवर दास को बीजेपी में पहली बड़ी जिम्मेदारी तब मिली, जब उन्हें सीतारामडेरा का मंडल अध्यक्ष बनाया गया.
इसके बाद उन्हें कई अहम पद मिले. जमशेदपुर महानगर में जिला महामंत्री और उपाध्यक्ष भी बने. जुलाई, 2004 से मई, 2005 तक और 19 जनवरी, 2009 से 25 सितंबर, 2010 तक वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे. रघुवर दास को राजनाथ सिंह की टीम में 16 अगस्त, 2014 को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. 27 दिसंबर, 2014 तक वह इस पद पर रहे. 43 दिन तक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहने के बाद वह झारखंड की राजनीति में लौट आए. विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी की जीत हुई, तो पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी.

इससे पहले वह झारखंड की सरकारों में कई विभागों के मंत्री रहे. 15 नवंबर 2000 से 17 मार्च 2003 तक वह बाबूलाल मरांडी की कैबिनेट में श्रम मंत्री रहे. वर्ष 2005 में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी, तो उन्हें वित्त, वाणिज्य एवं नगर विकास मंत्री बनाया गया. इस पद पर वह 12 मार्च, 2005 से 14 सितंबर, 2006 तक रहे. 30 दिसंबर, 2009 को शिबू सोरेन की सरकार में उन्हें उप-मुख्यमंत्री बनाया गया. 30 मई, 2010 तक वह उप मुख्यमंत्री एवं संसदीय कार्य मंत्री रहे.
वर्ष 2014 में जब पूरे देश में नरेंद्र मोदी की लहर चल रही थी, झारखंड विधानसभा में बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें जीतीं. झारखंड विकास मोर्चा के छह विधायकों को बीजेपी में शामिल कराके रघुवर दास ने पूर्ण बहुमत की सरकार का गठन किया. 28 दिसंबर, 2014 से 28 दिसंबर, 2019 तक वह झारखंड के मुख्यमंत्री रहे. हालांकि, वर्ष 2019 के चुनाव में उन्हें सत्ताविरोधी लहर का सामना करना पड़ा और वह जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से चुनाव हार गए. पार्टी से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले उनकी ही कैबिनेट के सदस्य रहे सरयू राय ने उन्हें पराजित कर दिया.

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