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16 अगस्त को मनाई जाएगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: होगा भगवान कृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव

शंभू कुमार सिंह

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सिमडेगा: भाद्रपद माह की सुगंधित हवाओं में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की आहट सुनाई देने लगी है। इस वर्ष 16 अगस्त को देशभर में भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। भक्तगण अपने आराध्य श्रीकृष्ण के आगमन की तैयारियों में जुट गए हैं। मथुरा और वृंदावन के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में भी यह पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस बार तिथियों के विशेष संयोग ने जन्माष्टमी को और भी खास बना दिया है।

जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 11:49 बजे शुरू होगी और 16 अगस्त की रात 9:24 बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त की सुबह 4:38 बजे से प्रारंभ होगा। उदया तिथि को मान्यता देते हुए, जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को मनाया जाएगा। पूजा का शुभ समय 16-17 अगस्त की मध्यरात्रि 12:04 बजे से 12:47 बजे तक निर्धारित किया गया है। इस दौरान चंद्रोदय 16 अगस्त की रात 11:32 बजे होगा, और मध्यरात्रि 12:25 बजे वह पावन क्षण आएगा, जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ माना जाता है। व्रत रखने वाले भक्त 17 अगस्त की सुबह 5:51 बजे व्रत का पारण कर सकेंगे।

सिमडेगा में उत्सव की तैयारियां

सिमडेगा के राम जानकी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में जन्माष्टमी की रात भक्ति और आस्था का अनुपम संगम देखने को मिलेगा। मंदिरों में झांकियां सजाई जाएंगी, माखन-मिश्री का भोग लगाया जाएगा, और घंटियों की मधुर ध्वनि के बीच लड्डू गोपाल को झूले में विराजमान किया जाएगा। परंपरा के अनुसार, मध्यरात्रि 12 बजे भगवान का दूध, जल और पंचामृत से अभिषेक होगा, और उन्हें नए वस्त्र पहनाकर झूला झुलाया जाएगा। दही-हांडी उत्सव श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की याद दिलाएगा, जो भक्तों के मन को भाव-विभोर कर देगा।

5252वां जन्मोत्सव का विशेष महत्व

इस वर्ष का जन्माष्टमी पर्व इसलिए भी खास है, क्योंकि यह भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव माना जा रहा है। यह अवसर भक्तों के लिए आस्था, भक्ति और उल्लास का अनूठा संगम लेकर आएगा। सिमडेगा सहित देशभर में मंदिरों और घरों में गोकुल की गलियों जैसी रौनक बिखरेगी। भक्तगण भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण कर इस पर्व को उत्सव के रूप में मनाएंगे।

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