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हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के खिलाफ राखा कॉपर माइंस में भूतपूर्व कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन

हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के खिलाफ राखा कॉपर माइंस में भूतपूर्व कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन

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जादूगोड़ा, 21 जुलाई : पूर्वी सिंहभूम जिले के जादूगोड़ा स्थित राखा कॉपर माइंस में 24 साल बाद उत्पादन शुरू करने की प्रक्रिया के बीच हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) के खिलाफ भूतपूर्व कर्मचारियों का गुस्सा भड़क उठा है। भूतपूर्व कर्मचारियों और उनके आश्रितों ने नियोजन में अनदेखी और बकाया राशि के भुगतान में देरी को लेकर राखा कॉपर पूजा पंडाल में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें 23 जुलाई तक पूरी नहीं हुईं, तो वे कंपनी के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू करेंगे।

कंपनी पर गंभीर आरोप
भूतपूर्व कर्मचारियों का कहना है कि 2001 में माइंस बंद होने पर एचसीएल ने उनके आश्रितों को नौकरी और बकाया राशि देने का वादा किया था, लेकिन अब कंपनी अपने वादे से मुकर रही है। राखा कॉपर प्रोजेक्ट का ठेका जिंदल से जुड़ी एक आउटसोर्सिंग कंपनी को सौंपा गया है, और गैर-कंपनी कर्मियों को नौकरी दी जा रही है, जबकि भूतपूर्व कर्मचारियों के आश्रितों को नजरअंदाज किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी ग्राम प्रधानों को महत्व देकर उनकी बकाया राशि हड़पने की कोशिश कर रही है।

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विशाल सभा और आंदोलन की चेतावनी
प्रदर्शन के दौरान राखा कॉपर पूजा पंडाल में एक विशाल आम सभा आयोजित की गई, जिसमें भारी संख्या में भूतपूर्व कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। सभा में फैसला लिया गया कि 23 जुलाई को एचसीएल प्रबंधन को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा जाएगा। कर्मचारियों ने मांग की कि कंपनी उनके आश्रितों को नौकरी दे और बकाया राशि का भुगतान करे, अन्यथा माइंस का संचालन नहीं होने दिया जाएगा।

भाजपा नेता का बयान
सभा को संबोधित करते हुए भाजपा नेता मनोज प्रताप सिंह ने कहा, “एचसीएल प्रबंधन और बिचौलियों की मिलीभगत से नौकरियां 10 हजार रुपये में बेची जा रही हैं। कंपनी भूतपूर्व कर्मचारियों के हक को नजरअंदाज कर रही है और उनका बकाया भी नहीं दे रही।” उन्होंने मांग की कि 2001 में नौकरी गंवाने वाले कर्मचारियों के एक आश्रित को नौकरी दी जाए, अन्यथा कंपनी को प्लांट बंद करना होगा।

नई कमिटी का गठन
प्रदर्शन के दौरान राखा कॉपर भूतपूर्व कर्मचारी व आश्रित संघ की नई कमिटी का गठन किया गया। सर्वसम्मति से विश्वनाथ महतो को अध्यक्ष और मनोज प्रताप सिंह को महामंत्री चुना गया। कमिटी में तीन उपाध्यक्ष- लिटा राम मुर्मू, विशाल महतो और अरविंद कुमार भक्त, सचिव अजित पात्रों, और कोषाध्यक्ष वी.एन. शर्मा को शामिल किया गया है। कमिटी में आसपास के गांवों के भूतपूर्व कर्मचारियों को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है।

कर्मचारियों की व्यथा
भूतपूर्व कर्मचारियों ने कहा कि 1969 में उन्होंने खून-पसीना बहाकर माइंस को शुरू किया, लेकिन बंद होने के बाद उनके बच्चों को कुछ नहीं मिला। सभा को संबोधित करने वालों में लिटा मुर्मू, विशाल मुर्मू, विश्वनाथ महतो और तापस मदीना ने भी कंपनी प्रबंधन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया (?)।

आंदोलन की चेतावनी
कर्मचारियों ने कहा कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे माइंस के संचालन को रोकने के लिए मजबूर होंगे। यह मामला अब स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बन चुका है, और सभी की नजरें 23 जुलाई को होने वाली वार्ता पर टिकी हैं।

 

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