झारखंड में ग्रामीणों का अवैध क्रशरों के खिलाफ विरोध, क्रशर मालिकों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग
झारखंड में ग्रामीणों का अवैध क्रशरों के खिलाफ विरोध, कसर मालिकों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग
रिपोर्ट गंगाधर पांडे
झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा प्रखंड में अवैध खदानों और क्रशर संचालन के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध एक गंभीर मुद्दा बनकर उभरा है। ओड़िया, बनकुंचिषा, काशमार और कुमीर पंचायतों के निवासियों ने इस समस्या को लेकर राज्यपाल से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है, जिसमें उन्होंने इन गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
ग्रामीणों की शिकायतें और प्रभाव
ग्रामीणों का कहना है कि अवैध खनन और क्रशर संचालन ने उनके दैनिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। सबसे बड़ी चिंता भौतिक क्षति की है। खनन में बार-बार होने वाली ब्लास्टिंग के कारण आसपास के स्कूलों और मकानों की दीवारों में दरारें पड़ रही हैं। ये दरारें न केवल इमारतों की संरचनात्मक मजबूती को कमजोर कर रही हैं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा और ग्रामीणों के रहने की स्थिति को भी खतरे में डाल रही हैं।
सड़कों की स्थिति भी बद से बदतर होती जा रही है। भारी मशीनरी और खनन सामग्री के परिवहन के लिए ट्रकों का लगातार इस्तेमाल इन ग्रामीण सड़कों को नष्ट कर रहा है, जिससे आवागमन में दिक्कतें हो रही हैं। इसके अलावा, पर्यावरणीय प्रदूषण एक और गंभीर समस्या है। खनन से उठने वाली धूल और क्रशर से निकलने वाला शोर हवा और ध्वनि प्रदूषण को बढ़ा रहा है, जिसका असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
नियमों का उल्लंघन
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि खनन गतिविधियों में नियमों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है ब्लास्टिंग और “वैगन ड्रिल मशीन” का संचालन खनन नियमों का स्पष्ट उल्लंघन कर हो रहा है। ब्लास्टिंग न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि आसपास के इलाकों में कंपन पैदा करती है, जो इमारतों को नुकसान पहुंचाने का प्रमुख कारण है। वैगन ड्रिल मशीन, जो गहरी खुदाई के लिए प्रयोग की जाती है, का अनियंत्रित इस्तेमाल भी मिट्टी और पानी के प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ रहा है। ये सभी गतिविधियाँ खनन नियमों के खिलाफ हो रहा हैं,
ग्रामीणों की मांग
इस स्थिति से त्रस्त ग्रामीणों ने अपनी मांगें स्पष्ट रूप से रखी हैं। सबसे पहले, वे इन अवैध खदानों और क्रशरों के संचालन पर तुरंत रोक चाहते हैं। उनका मानना है कि जब तक ये गतिविधियाँ बंद नहीं होंगी, तब तक नुकसान बढ़ता रहेगा। दूसरी मांग है कि इन अवैध कार्यों में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज की जाए, ताकि दोषियों को सजा मिले और भविष्य में ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगे। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि प्रशासन को उनकी शिकायतों पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करके स्थिति का जायजा लेना चाहिए।
क्या कहता है नियम
भारत में क्रशर उद्योग के नियम राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं, क्योंकि खनन और संबंधित गतिविधियाँ राज्य सूची के अंतर्गत आती हैं। क्रशर उद्योग से जुड़े नियमों को समझिए
1. खनन नियम और नीतियाँ
- झारखंड लघु खनिज रियायत नियम, 2004: यह नियम रेत, पत्थर, बजरी जैसे लघु खनिजों के खनन और उनके उपयोग को नियंत्रित करता है। क्रशर उद्योग, जो पत्थरों को तोड़कर बजरी या अन्य सामग्री बनाता है, इस नियम के तहत लाइसेंस और अनुमति लेने के लिए बाध्य है।
- खनन पट्टा (लीज): क्रशर संचालकों को खनन पट्टा प्राप्त करना होता है, जिसमें खनन क्षेत्र, अवधि, और उत्पादन की मात्रा निर्धारित होती है। अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए यह अनिवार्य है।
- रॉयल्टी और कर: खनन सामग्री पर राज्य सरकार द्वारा निर्धारित रॉयल्टी का भुगतान करना होता है।
2. पर्यावरण नियम
- पर्यावरण मंजूरी: भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) अधिसूचना, 2006 के अनुसार, क्रशर उद्योग को पर्यावरण मंजूरी लेनी होती है। इसमें वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, और जल संरक्षण के मानकों का पालन शामिल है।
- वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981: क्रशर से निकलने वाली धूल को नियंत्रित करने के लिए धूल संग्रहण प्रणाली (डस्ट कलेक्टर) और पानी के छिड़काव की व्यवस्था अनिवार्य है।
- ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000: ब्लास्टिंग और मशीनों से होने वाले शोर को निर्धारित सीमा के भीतर रखना जरूरी है, खासकर यदि क्रशर आवासीय क्षेत्रों के पास स्थित हों।
3. औद्योगिक और स्थानीय नियम
- झारखंड औद्योगिक नीति: यह नीति उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनके संचालन के लिए नियम निर्धारित करती है। क्रशर उद्योग को औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित करने या निर्धारित दूरी (जैसे स्कूल, अस्पताल, या सड़कों से) का पालन करना पड़ सकता है।
- जिला प्रशासन के आदेश: स्थानीय स्तर पर जिला मजिस्ट्रेट या खनन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देश, जैसे धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा, क्रशर संचालन को प्रभावित कर सकते हैं।
4. विशिष्ट प्रतिबंध और शर्तें
- ब्लास्टिंग पर नियंत्रण: रासायनिक बमों या विस्फोटकों का उपयोग खनन नियमों के तहत सख्ती से विनियमित है। इसके लिए विस्फोटक अधिनियम, 1884 और संबंधित नियमों का पालन करना होता है। बिना अनुमति के ऐसा करना अवैध है।
- स्थानीय समुदाय की सहमति: कुछ मामलों में, खनन क्षेत्र के निकट रहने वाले समुदायों की सहमति या आपत्ति को ध्यान में रखा जाता है, जैसा कि पटमदा के मामले में देखा गया।