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सिमडेगा बाल संप्रेक्षण गृह से 6 नाबालिग फरार: सुरक्षा व्यवस्था पर फिर उठे सवाल

सिमडेगा बाल संप्रेक्षण गृह से 6 नाबालिग फरार: सुरक्षा व्यवस्था पर फिर उठे सवाल

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सिमडेगा :  नरेश 

सिमडेगा, झारखंड: सिमडेगा के बाल संप्रेक्षण गृह से रविवार रात एक सनसनीखेज घटना सामने आई है, जहां छह नाबालिग अपचारी बच्चे दीवार फांदकर फरार हो गए। ये बच्चे विभिन्न आपराधिक मामलों, जिनमें हत्या जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं, में पकड़े गए थे। फरार बच्चों में लातेहार का एक, पश्चिम सिंहभूम के दो, और गुमला के तीन बच्चे शामिल हैं। इस घटना ने न केवल पुलिस प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है, बल्कि बाल संप्रेक्षण गृह की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कैसे हुई घटना?
जानकारी के अनुसार, रविवार रात अंधेरे का फायदा उठाकर इन बच्चों ने सुनियोजित तरीके से भागने की योजना बनाई। बताया जा रहा है कि उन्होंने ड्राम (संभवतः रस्सी या कपड़े से बनी अस्थायी व्यवस्था) का सहारा लिया और संप्रेक्षण गृह की बाउंड्री दीवार को पार कर लिया। रात के समय सुरक्षा में ढील और कर्मचारियों की लापरवाही को इस घटना का प्रमुख कारण माना जा रहा है। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस हरकत में आई, और डीएसपी हेडक्वार्टर व एसडीपीओ सिमडेगा के नेतृत्व में तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया।

सिमडेगा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) मोहम्मद अर्सी ने पुष्टि करते हुए कहा, “बाल संप्रेक्षण गृह से छह बच्चे फरार हुए हैं। पुलिस उनकी तलाश में जुटी है और जल्द ही उन्हें पकड़ लिया जाएगा।” पुलिस ने संभावित ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है और आसपास के जिलों में भी अलर्ट जारी किया गया है।

पहले भी विवादों में रहा है संप्रेक्षण गृह
यह कोई पहली बार नहीं है जब सिमडेगा का बाल संप्रेक्षण गृह चर्चा में आया हो। कुछ महीने पहले भी यहां एक नाबालिग के साथ मारपीट की घटना सामने आई थी, जिसके बाद सदर अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। परिजनों ने तब संप्रेक्षण गृह के कर्मचारियों और प्रबंधन पर मारपीट का आरोप लगाया था। उस घटना की जांच अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि अब छह बच्चों के फरार होने की यह नई घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा दिए हैं।

स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि संप्रेक्षण गृह में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कमजोर है। निगरानी के लिए पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं, और सीसीटीवी कैमरे या अन्य आधुनिक सुरक्षा उपायों की कमी साफ दिखाई देती है। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “इन बच्चों को सुधार और पुनर्वास के लिए रखा जाता है, लेकिन अगर बुनियादी सुरक्षा ही सुनिश्चित न हो तो सुधार की बात बेमानी है।”

क्या हैं बाल संप्रेक्षण गृह और इनकी भूमिका?
बाल संप्रेक्षण गृह वे संस्थान हैं जहां 18 वर्ष से कम उम्र के उन नाबालिगों को रखा जाता है, जो किसी अपराध में शामिल पाए जाते हैं। इनका उद्देश्य बच्चों को सुधार का अवसर देना, उनकी शिक्षा और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में लौट सकें। हालांकि, सिमडेगा की इस घटना ने यह सवाल उठाया है कि क्या ये संस्थान अपनी जिम्मेदारी नाकाम हो रहे हैं?

विशेषज्ञों का मानना है कि इन संस्थानों में निम्नलिखित सुधारों की तत्काल जरूरत है:
बेहतर सुरक्षा उपाय : सीसीटीवी कैमरे, ऊंची और मजबूत बाउंड्री दीवारें, और रात में गश्त की व्यवस्था।
कर्मचारियों की जवाबदेही : पर्याप्त प्रशिक्षित कर्मचारियों की नियुक्ति और उनकी नियमित निगरानी।
मनोवैज्ञानिक सहायता :  बच्चों को अपराध की दुनिया से दूर रखने के लिए काउंसलिंग और पुनर्वास कार्यक्रमों को मजबूत करना।
निगरानी तंत्र : स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों की भागीदारी से नियमित निरीक्षण।

फिलहाल, पुलिस की टीमें फरार बच्चों की तलाश में दिन-रात जुटी हैं। इस बीच, जनता से अपील की गई है कि अगर किसी को इन बच्चों के बारे में कोई जानकारी मिले, तो तुरंत स्थानीय पुलिस या प्रशासन से संपर्क करें।

 

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