चाईबासा बाल सुधार गृह से 20 से ज्यादा बच्चो का फरार होना झारखंड में बना चर्चा का विषय, लाइव वीडियो हो रहा वायरल
चाईबासा, झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले का एक बड़ी घटना के कारण चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल 1 अप्रैल मंगलवार की शाम लगभग 6 बजे, चाईबासा के बाल सुधार गृह (संप्रेक्षण गृह) में अचानक बवाल मच गया, जिसके परिणामस्वरूप 21 बाल बंदी फरार हो गए। जिसके बाद यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन के लिए एक चुनौती बन गई है, बल्कि राज्य की सुरक्षा व्यवस्था और बाल सुधार गृहों की स्थिति पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
घटना का विवरण
बताया जा रहा है कि मंगलवार की शाम को संप्रेक्षण गृह में बाल बंदी खेल रहे थे। इसी दौरान एक बाल बंदी, जो पिछले तीन दिनों से मानसिक रूप से अजीब व्यवहार कर रहा था उसने हंगामा शुरू कर दिया। उसकी हरकतों को देखकर अन्य बाल बंदी भी उसके साथ शामिल हो गए। स्थिति तब बिगड़ गई जब ये बच्चे एकजुट होकर उग्र हो गए और सुधार गृह के भीतर उत्पात मचाने लगे।
जब गार्ड ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो बाल बंदियों ने गार्ड को घेर लिया और उस पर हमला कर दिया। इसके बाद, उन्होंने लोहे का मुख्य गेट तोड़ दिया और बाहर निकल आए। बाहर तैनात सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, लेकिन बाल बंदियों ने उन पर भी जानलेवा हमला किया। इस दौरान उन्होंने सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया और गेट की कुंडी तोड़कर भागने में सफल हो गए। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, 15 से 21 बाल बंदी फरार हुए, जो चाईबासा और सरायकेला की ओर भाग गए। सुधार गृह में उस समय लगभग 85 बच्चे मौजूद थे।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन और पुलिस हरकत में आ गए। प्रशिक्षु आईपीएस निखिल राय, एसडीपीओ बहामन टुटी, एसडीओ संदीप अनुराग टोपनो, सदर सीओ उपेंद्र कुमार, और मुफ्फसिल थाना प्रभारी रंजीत उरांव तुरंत संप्रेक्षण गृह पहुंचे। अधिकारियों ने बाहर खड़े कुछ बाल बंदियों को वापस अंदर किया और गिनती शुरू की। प्रारंभिक जांच में 15 बच्चों के फरार होने की पुष्टि हुई, हालांकि कुछ स्रोतों के अनुसार यह संख्या 20 से अधिक भी है।
पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर ने कहा कि घटना की गहन जांच की जा रही है। अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कितने बच्चे वास्तव में फरार हुए हैं। सुधार गृह में मौजूद पंजी के आधार पर सभी बच्चों का मिलान किया जा रहा है। उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने बताया कि चार बच्चों को वापस लाया जा चुका है, और बाकियों की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
वायरल वीडियो और जनता की प्रतिक्रिया
इस घटना का एक वीडियो किसी व्यक्ति ने बनाया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में बाल बंदियों को गेट तोड़कर भागते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो के वायरल होने के बाद जिले में हड़कंप मच गया। लोग इस घटना को प्रशासन की लापरवाही और सुधार गृह की खराब सुरक्षा व्यवस्था से जोड़कर देख रहे हैं। कई लोगों ने इसे राज्य सरकार की विफलता करार दिया है।
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
यह घटना बाल सुधार गृह की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है। सुधार गृह का उद्देश्य नाबालिग अपराधियों को सुधार कर समाज की मुख्यधारा में वापस लाना होता है, लेकिन इस तरह की घटनाएं इस व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करती हैं। गार्ड और सुरक्षा कर्मियों पर हमला, सीसीटीवी का नष्ट होना, और गेट का आसानी से टूट जाना यह दर्शाता है कि सुधार गृह में न तो पर्याप्त सुरक्षा बल थे और न ही उचित निगरानी व्यवस्था।
संभावित परिणाम और चिंताएं
फरार हुए बाल बंदी नाबालिग हैं और कई मामलों में आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं। अगर ये बच्चे किसी अप्रिय घटना को अंजाम देते हैं, तो इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर होगी। स्थानीय लोगों में यह डर भी है कि इन बच्चों का इस्तेमाल असामाजिक तत्वों द्वारा किया जा सकता है।
जाहिर है चाईबासा की यह घटना एक चेतावनी है कि बाल सुधार गृहों की स्थिति में सुधार की सख्त जरूरत है। सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ इन बच्चों की काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना होगा। सरकार को इस मामले में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि फरार बच्चों को जल्द से जल्द वापस लाया जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।