राज्य के राजस्व वृद्धि हेतु झारखण्ड चैंबर द्वारा राज्य सरकार को सुझाव.
राँची : मौजदूा महामारी के कारण प्रदेश के राजस्व संग्रह में कमी और इससे विकास योजनाएं प्रभावित होने की आशंका को लेकर आज फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैंबर ऑफ काॅमर्स एण्ड इन्डस्ट्रीज ने माननीय मुख्यमंत्री को पत्राचार कर राज्य सरकार के राजस्व संग्रह में वृद्धि के उपाय सुझाये। यह कहा गया कि वर्तमान महामारी ने रोजगार और राजस्व सृजन के रूप में राज्य के समक्ष कई चुनौतियां पैदा कर दी हैं, जिससे निपटने के लिए युद्धस्तर पर कार्रवाई की जरूरत है। चैंबर ने लौह अयस्क और इस्पात उदयोगों से संबंधित मुददों पर ध्यान आकर्षित करते हुए अपना मंतव्य दिया गया और कहा कि राज्य सरकार को गैर परिचालन व्यापारिक खानों के अपने मौजूदा वैध शेयरों को बेंचने की अनुमति देनी चाहिए।
चैंबर महासचिव राहुल मारू ने कहा कि मौजूदा नियम के अनुसार राज्य की कैप्टिव माईंस खुले बाजार में लौह अयस्क बेंच सकती हैं। विभिन्न प्लांटो के पास वर्तमान में कई टन लौह अयस्क का भंडार है जिसकी कीमत कई हजार करोड रू0 है। इससे राज्य सरकार को जीएसटी और राॅयल्टी मिलाकर लगभग 45 प्रतिशत राजस्व प्राप्त हो सकता है। इसी प्रकार कई प्रमुख बड़ी स्टील कंपनियों के पास बडी मात्रा में डंप लौह अयस्क हैं जिसे खुले बाजार में बेंचा जा सकता है। उन्होंने पत्र में यह भी उल्लिखित करते हुए कहा कि झारखण्ड चैंबर के पास इस्पात उदयोग के क्षेत्र में निवेश के लिए रोडमैप तैयार है। हमारे कुछ सदस्यों ने झारखण्ड में इस्पात उद्योग क्षेत्रों में निवेश करने में भी रूचि दिखाई है। यदि राज्य सरकार ईच्छा जाहिर करे तो इस दिशा में झारखण्ड चैम्बर सहयोगी भूमिका के लिए उपलब्ध है।
चैंबर के माईंस एण्ड मिनरल उप समिति चेयरमेन प्रमोद चौधरी ने कहा कि राज्य में 1 अप्रैल 2020 से सभी व्यापारिक खदानें बंद है जिस कारण राज्य के उद्योगों को लौह अयस्क की खरीदी के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर रहना पडता है जिस मद में कई हजार करोड रू झारखण्ड से अन्य राज्यों को चला जाता है। राॅयल्टी और एसजीएसटी के रूप में यह राजस्व झारखण्ड सरकार द्वारा प्राप्त किया जा सकता था। कुछ अन्य उद्योग, जैसे परिवहन, निर्माता, व्यापारी आदि भी खदानों के संचालन न होने के कारण प्रभावित हैं जिससे राज्य में हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रभावित हुए हैं। यह भी कहा गया कि लौह अयस्क खान और खनिज विभाग की भूमिका केंद्र सरकार द्वारा लाये गये एमएमडीआर अधिनियम 2015 पर नये संशोधन पर विचार करते हुए राज्य सरकार के लिए राजस्व सृजन में वृद्धि करना है। इसने अपने प्रभाव के बाद झारखण्ड के व्यापारिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि खुले बाजार में सामग्री की आपूर्ति में कमी के कारण लौह अयस्क की कीमत काफी अधिक है। इस अवसर का लाभ सरकार उठा सकती है जो राज्य में रोजगार सृजन और राज्य की समग्र समृद्धि में हितकर होगा।
विदित हो कि इन सभी मुद्दों पर झारखण्ड चैंबर द्वारा फरवरी एवं मार्च 2021 में कई बैठकों का आयोजन कर विभागीय सचिव श्री केएन श्रीनिवासन से भी इसकी संभावनाओं पर चर्चा की गई है जिसपर उन्होंने विभागीय विचार का आश्वासन दिया है।